दीपक तिवारी की हठ योग साधना कठोर तपस्या नौतपा से भी ज्यादा अपने को तापाया
राजेश सोनी रीवा शहर जिस नौतपा में अग्नि के सामान तपिश हो और आम जैन पशु पक्षी यो व ठंडक के लिए तड़पते हो जी सूर्य की रोशनी शरीर में पढ़ने के बाद शरीर का वह हाल होता है कि लोग तड़प जाते हैं 40 से 44 डिग्री तक जब पारा हो तब एक हठयोगी जिसका नाम दीपक तिवारी रीवा शहर के वार्डन टोला में रहने वाला पैसे से अधिवक्ता है उसे व्यक्ति के मन मस्तिष्क और शेयर और शरीर की वह इंद्रियां जो लोगों को भ्रमित करती है साधने के लिए बड़े-बड़े योगी पहाड़ों में जंगलों में जाते हैं ऐसा ही एक हठयोगी दीपक तिवारी ने विगत 4 वर्षों से निरंतर चली आ रही है यह हर वर्ष नौतपा में 9 दिन का हठयोगी साधना करते हैं इस साधना में उनके चारों तरफ उपयोगी की अग्नि प्रज्वलित की जाती है और बीच में दीपक बैठकर अपने स्थान पर योग साधना करते हैं इस नौतपा के समय ऐसी हठयोगी साधना साधारण व्यक्ति के बस की बात नहीं है ऐसी साधना करने के लिए किसी भी व्यक्ति को अपने शरीर की इंद्रियों को बस में करना पड़ता है इसके बाद ही आप किसी योग साधना कर सकते हैं दीपक इस भीषण नौतपा में जब 44 डिग्री का तापमान रहता है तब अपने चारों तरफ अग्नि प्रज्वलित कर बीच में आशा लगाकर के हठयोगी अग्निशाद ना करते हैं और यह अग्निशाद नाम 9 दिन तक अनमार्क चलती है शरीर में भसम भूत लपेट एक मुद्रा में बैठ या 9 दिन तक की तपस्या करते हैं और शरीर में पांच तत्वों का संतुलन बनाते हैं माना जाता है कि अग्नि के रूप पांच होते हैं जिसमें खुले आसमान के नीचे बैठकर तपती गर्मी में स्वर्ग की अग्नि माला सूर्य को कहा जाता है अग्नि का दूसरा रूप पर्जन्य हे संसार की तीसरी अग्नि माना जाता है पुरुष को चौथी अग्नि और स्त्री को पांचवी अग्नि के रूप में देखा जाता है यह प्रकृति की साधना की एक विशेष अग्नि साधना है जिसे दीपक बड़े ही सरलता से इसको साधते हैं और यह जनकल्याण के लिए संसार के लिए कामना और उद्देश्य को लेकर ऐसी साधनाओं को किया जाता है