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*37 लाख खर्च फिर भी RTI पोर्टल पर सिर्फ 37 विभाग जुड़े, झारखंड में ई-गवर्नेंस की हकीकत उजागर*

*37 लाख खर्च फिर भी RTI पोर्टल पर सिर्फ 37 विभाग जुड़े, झारखंड में ई-गवर्नेंस की हकीकत उजागर*


*अमित अग्रवाल गिरीडीह झारखंड चीफ ब्यौरो*

झारखंड सरकार द्वारा पारदर्शिता बढ़ाने के लिए बनाए गए आरटीआई ऑनलाइन पोर्टल पर 37 लाख रुपए से ज्यादा खर्च कर दिए गए, लेकिन अब तक सिर्फ 37 लोक प्राधिकरण ही इससे जोड़े जा सके हैं। यह खुलासा सूचना एवं ई-गवर्नेंस विभाग द्वारा एक आरटीआई आवेदन के जवाब में हुआ है।

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत मांगी गई जानकारी में बताया गया कि पोर्टल के विकास पर ₹37,14,600 खर्च किए गए हैं। खर्च की यह जानकारी जेएपी-आईटी द्वारा दी गई।

प्रचार-प्रसार और संचालन अधर में
आरटीआई पोर्टल के प्रचार-प्रसार और इसके प्रभावी संचालन के लिए संबंधित विभागों को कई बार पत्र भेजे गए, लेकिन अभी तक अपेक्षित जवाब नहीं मिला है। दस्तावेजों के मुताबिक संबंधित विभागों को रिमाइंडर भी भेजा गया था।

अधिकांश विभाग अब भी पोर्टल से नहीं जुड़े
अब तक केवल 37 विभागों को ही इस पोर्टल से जोड़ा गया है। बाकी विभाग अब भी बाहर हैं। विभागों से पूछा गया कि यदि इस बाबत कोई आदेश जारी किया गया हो तो उसकी कॉपी उपलब्ध कराएं, लेकिन उस पर भी कोई ठोस जवाब नहीं मिला।

बजट और योजना की भी नहीं दी गई पूरी जानकारी
सरकार ने इस पोर्टल के लिए क्या बजट प्रस्तावित किया, किस स्तर पर इसे स्वीकृति मिली और अब तक कितना खर्च हुआ—इसकी विस्तृत जानकारी भी मांगी गई, लेकिन केवल आंशिक सूचना ही साझा की गई।

सवाल खड़े कर रही व्यवस्था
राज्य सरकार की ओर से डिजिटल पारदर्शिता को लेकर किए जा रहे प्रयासों की जमीनी सच्चाई इस आरटीआई से सामने आ गई है। करोड़ों के बजट और बड़ी-बड़ी योजनाओं के बावजूद जब सिर्फ 37 विभाग ही ऑनलाइन सिस्टम से जुड़ सके हैं, तो सवाल उठना लाज़मी है।

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