आते हैं भटककर चले जाते हैं पेट ले दर-दर की ठोकर खा रही है लोग 5000 से अधिक प्राक्कलन लंबित हैं ना अधिकारियों को रुचि और ना ही कर्मचारियों को
राज्य सरकार द्वारा जनता के लिए लागू की गई पत्तेदारी अधिकार की योजना चंद अधिकारी और कर्मचारियों के कारण मजाक बनकर रह गई यह करीबन 5000 लोगों के प्रकरण लंबित है भी मजबूर होकर दर-दर भटक रहे हैं उनकी पीड़ा समझने की कोशिश नहीं की जा रही है गरीबों को अपने घर में रहने का ना तो आनंद होता है ना ही उसे एहसास हो पा रहा है कि पट्टे देने की योजना शुरू की गई है लेकिन इसमें होने वाली देरी योजना को पलीता लगा रही है