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गढ़ रोड सीएचसी, हापुड़: स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल, अल्ट्रासाउंड के लिए दो महीने की प्रतीक्षा, कमीशन का खेल उजागर


हापुड़ के गढ़ रोड सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है। एक गर्भवती महिला, काजल, को आपात स्थिति में अल्ट्रासाउंड के लिए दो महीने बाद की तारीख दी गई, जो स्वास्थ्य सेवाओं की लचर व्यवस्था को दर्शाता है। स्थानीय लोगों और मरीजों का आरोप है कि इस देरी के पीछे कमीशन का खेल चल रहा है, जिसके कारण गरीब मरीजों को मजबूरी में निजी क्लीनिकों की शरण लेनी पड़ रही है, जहां उनसे मोटी रकम वसूली जाती है।
मरीजों की शिकायतें: सुविधाओं का अभाव
गढ़ रोड सीएचसी में न तो डॉक्टर समय पर उपलब्ध रहते हैं, न ही आवश्यक उपकरण और दवाइयां मौजूद हैं। काजल जैसी कई गर्भवती महिलाएं और अन्य मरीज इस लाचारी के कारण अपनी और अपने बच्चों की जान जोखिम में डालने को मजबूर हैं। मरीजों का कहना है कि अल्ट्रासाउंड जैसी जरूरी जांच के लिए लंबा इंतजार और कमीशन के खेल ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। निजी क्लीनिकों में एक अल्ट्रासाउंड की लागत 1000 से 2000 रुपये तक हो सकती है, जो गरीब परिवारों के लिए भारी पड़ता है।
कमीशन का खेल: मरीजों की मजबूरी का फायदा
सूत्रों के अनुसार, सीएचसी में अल्ट्रासाउंड सेवाओं की कमी के पीछे कथित तौर पर कमीशन का खेल चल रहा है। मरीजों को जानबूझकर निजी क्लीनिकों की ओर धकेला जा रहा है, जहां कुछ निजी पैथोलॉजी और क्लीनिकों के साथ मिलीभगत की बात सामने आ रही है। यह स्थिति न केवल गरीब मरीजों के लिए आर्थिक बोझ बढ़ा रही है, बल्कि आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में उनकी जान को भी खतरा पैदा कर रही है।
प्रशासन से मांग: तत्काल कार्रवाई की जरूरत
मरीजों और स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। गढ़ रोड सीएचसी में अल्ट्रासाउंड सेवाओं को सुचारु करने, कमीशन के खेल की जांच करने और डॉक्टरों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। लोगों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (@myogiadityanath
), स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक (@brajeshpathakup
), हापुड़ के डीएम (@DmHapur
), और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (@CmoHapur
) से इस मामले में तुरंत संज्ञान लेने की अपील की है।
स्थानीय लोगों का गुस्सा: "गरीबों का जीवन दांव पर"
स्थानीय निवासियों का कहना है कि सीएचसी का यह हाल गरीबों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। एक मरीज ने बताया, "हमारे पास इतने पैसे नहीं कि हर बार निजी अस्पताल जाएं। सीएचसी में सुविधाएं होतीं तो हमें इतनी परेशानी न उठानी पड़ती।" गर्भवती महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड जैसी जांच समय पर न होना गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि इससे मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा हो सकता है।
आगे क्या?
गढ़ रोड सीएचसी की इस बदहाल स्थिति ने हापुड़ में स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल दी है। प्रशासन से अपेक्षा है कि वह तत्काल जांच शुरू करे, दोषियों पर कार्रवाई करे और मरीजों को समय पर इलाज उपलब्ध कराने के लिए ठोस कदम उठाए। गरीबों का जीवन दांव पर है, और अब सवाल यह है कि इस बदहाली का जिम्मेदार कौन है और कार्रवाई कब होगी?

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