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मंदिर में मासूमियत का खून... और मीडिया की सियासी चुप्पी!

5 साल की बच्ची मंदिर में भगवान से मिलने गई होगी... लेकिन किसी दरिंदे ने उसकी इबादत को ज़ुल्म में बदल दिया। यूपी का ये जँगली वाक्या सिर्फ़ इंसानियत नहीं, भारत के "धर्म-संस्कृति" के ढोंग को भी बेनक़ाब करता है।

अगर ये घटना मस्जिद/चर्च में होती, तो क्या "गोदी मीडिया" 24x7 "हिंदू अस्मिता" नहीं चिल्ला रहा होता?
क्या मासूम के साथ बलात्कार की ख़बर भी "सर्वे" और "वोट बैंक" के हिसाब से दिखाई जाती है?

शर्मनाक!
जब सत्ता के "रक्षक" ही राक्षस बन जाएँ, तो "देशद्रोही" किसे कहें? बच्ची के आँसूओं का कोई मज़हब नहीं होता... लेकिन तुम्हारी "चुप्पी" का एजेंडा ज़रूर होता है!

हम माँगते हैं:
दोषी को फाँसी!

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