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गज़ल - हमें देश के गद्दारों को अब यूँ सबक सिखाना होगा.....

हमें देश के गद्दारों को.....अब यूँ सबक सिखाना होगा |
उनके जीवन की रेखा को....करके चोट मिटाना होगा ||

जो केवल.....अपने मतलब के लिए देश में बसे हुए हैं,
ढूँढ - ढूँढ कर.....उन्हें देश से बाहर फेंक हटाना होगा ||

जिनको भारत माता लगती है जमीन का टुकड़ा केवल,
उनसे कह दो इन चरणों में तुमको शीश झुकाना होगा ||

प्राणवान जीवंत - पुरुष है....राष्ट्र हमारा प्यारा भारत,
पूज्य पिता के जैसा रिश्ता....इससे हमें निभाना होगा ||

जो निज स्वार्थ और निज सुख के लिये बिकाऊ लोग यहाँ हैं,
उन्हें सूचना दे दो.....उनको देश छोड़कर जाना होगा ||

है समाज का और राष्ट्र का जो दुश्मन..वो भारत छोड़े,
मेरा देश सराय नहीं है......हमको यह बतलाना होगा ||

जाग रहा है..राष्ट्रवाद का ज्वार देश के जन-जन में अब,
राष्ट्र द्रोहियों को अब हमको मिलकर के निपटाना होगा ||

राम - कृष्ण और परशुराम से बेटों की इस जन्म - भूमि को,
जो बलिदान चाहिए होगा.......देकर हमें बचाना होगा ||

शांतिवाद की जब आशा अब टूट चुकी तो शिव बनकर के,
दुश्मन दल को ताण्डव जैसा दृश्य हमें दिखलाना होगा ||

अगर शत्रुओं को यह भ्रम है भूल चुके हैं युद्ध कला हम,
तो रखकर के शास्त्र हमें अब फिर से शस्त्र उठाना होगा ||

रचनाकार - अभय दीपराज
संपर्क सूत्र - 9893101237

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