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"माननीय उच्च न्यायालय की खंडपीठ ग्वालियर परिसर में संविधान निर्माता डॉ भीमराव अम्बेडकर जी की मूर्ति स्थापना का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है "

गौरतलब है कि माननीय उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश की खंडपीठ माननीय ग्वालियर होई कोर्ट के परिसर में संविधान निर्माता डॉ भीमराव अम्बेडकर जी की मूर्ति की स्थापना होनी थी, किन्तु कुछ जातिवादी तथाकथित मानसिक कुप्रवृत्तियों के वकीलों ने इसका विरोध कर रहे,जिसका विवाद बढ़ता ही जा रहा है ,थमने का नाम नहीं ले रहा है, जिसके समर्थन में आजाद समाज पार्टी एवं बसपा पार्टी मूर्ति स्थापना के समर्थन में अपना विरोध प्रदर्शन कर चुकी है और अभी चल ही रहा है, किन्तु इसी बीच हाल ही में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के माननीय दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह भी मूर्ति स्थापना के समर्थन में आगे आ गये , जबकि इनकी पार्टी ने भी डॉ अम्बेडकर जी का कम विरोध नहीं किया, फिर भी अपने सोसल मीडिया फेसबुक अकाउंट पर लिखा है:-मनुवाद बनाम सामाजिक न्याय का संघर्ष अब तेज हो रहा है ।
बीजेपी सरकार के परोक्ष समर्थन से डॉ. बी.आर. अंबेडकर की मूर्ति लगने से रुकी है। सुप्रीम कोर्ट के परिसर में डॉ. अंबेडकर की मूर्ति लग सकती है तो ग्वालियर हाई कोर्ट में क्यों नहीं? बीजेपी सरकार का असर है कि ओबीसी, दलित और आम लोगों के चंदे से बनी मूर्ति को बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन पाठक और पूर्व अध्यक्ष अनिल मिश्रा आदि ने परिसर के अंदर 14 मई , 2025 को लाने नहीं दिया । 17 मई को राज्यपाल और हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस श्री सुरेश कैत द्वारा उद्घाटन करना था। विवाद के कारण उद्घाटन न हो सका और 19 मई को चीफ़ जस्टिस ने जबलपुर दोनों पक्षों को बुलाया लेकिन विरोधी पक्ष नहीं पहुँचा। फ़रवरी में दलित और ओबीसी के वकीलों ने चीफ जस्टिस से मिलकर आग्रह किया कि बाबा साहेब की मूर्ति ग्वालियर हाई कोर्ट के प्रांगण में लगना चाहिए । उसके बाद करीब 2000 वकीलों ने हस्ताक्षर के माध्यम से मांग उठाई । 21 अप्रैल को एमपी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने मूर्ति लगाने के लिए आदेश दिया।
अगर बीजेपी की सरकार मध्य प्रदेश में न होती तो यह विवाद पैदा ही नहीं होता। डॉ. अंबेडकर की विचारधारा आरएसएस और बीजेपी के विपरीत है ऐसे में यह समझना मुश्किल नहीं हैं कि विरोध क्यों हो रहा है?
अब दो विचारधारा की लड़ाई आमने- सामने है और अच्छी बात है कि पिछड़े वर्ग से एडवोकेट धर्मेंद्र कुशवाहा इसका नेतृत्व कर रहे हैं । सामान्यतया पहले पिछड़ा वर्ग उदासीन होता था या बीजेपी के पक्ष में। एडवोकेट विश्वजीत रटोनिया व अन्य एससी, ओबीसी और अल्पसंख्यक वकीलों के नेतृत्व में मूर्ति लगाने के लिए संघर्ष अभी जारी है और जब तक लक्ष्य नहीं पूरा होगा, बहुजन समाज के वकील शांत नहीं बैठेंगे ।आगामी 15 जून को दिल्ली में डोमा परिसंघ द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाएगा और अब यह लड़ाई प्रदेश व देश स्तर पर लड़ी जाएगी।
कांग्रेस, BSP, पार्टी मूर्ति लगाने का समर्थन किया,प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट प को पत्र लिखकर ग्वालियर हाई कोर्ट में बाबा साहब की मूर्ति लगवाए जाने का अनुरोध किया गया है। सवाल यह नहीं है की कौन पार्टी किसके समर्थन में हैं, सवाल यह है कि भारतीय संविधान के निर्माता डॉ भीमराव अम्बेडकर जी की मूर्ति की स्थापना में समस्या किसको है, मेरे हिसाब से किसी को समस्या नहीं होनी चाहिए, परन्तु माननीय उच्च न्यायालय की खंडपीठ ग्वालियर के कुछ तथाकथित जातिवादी मानसिक कुप्रवृत्तियों के वकील इसका विरोध कर रहे हैं, किन्तु मध्यप्रदेश सरकार यदि चाहे तो तत्काल ही मूर्ति स्थापित हो जाएगी , इससे सरकार की एक बहुत बड़े तबके के समाज में पकड़ मजबूत भी होगी और यह जातिवादी मानसिक कुप्रवृत्तियों के वकील कुछ नहीं कर पाएंगे और यह विवाद भी समाप्त हो जाएगा।

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