
"कुलीन वर्ग की महिलाओं के साथ दरिंदगी क्यों नहीं होती?, निम्न एवं मध्यम वर्ग की महिलाओं के साथ ही क्यों होती है?, इसका मुख्य कारण है आर्थिक विपन्नता है।"
गुजरात के अमरेली में 20 वर्षीय दलित युवक नीलेश राठौड़ ने दुकानदार के बेटे को "बेटा" कहा—इतनी सी बात पर दुकानदार और उसके साथियों ने लाठियों से पीट-पीटकर उसकी हत्या कर दी,इसका एक ही मतलब है कि ऐसे लोगों की दुकानों में जाने की आवश्यकता नहीं है।
उत्तर प्रदेश के जिला सीतापुर में दलित युवक रवि गौतम की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गई ,क्योंकि वह दलित था—एक कच्चे आम के लिए उसकी जान ले ली गई और शव पेड़ से लटका दिया गया, किन्तु आजकल आम के फलों का समय है, ऐसे पेड़ के पास न जाएं ,जहां लोगों ने प्रतिबंध लगा रखा है।
मध्य प्रदेश के जिला खंडवा में एक आदिवासी महिला के साथ "निर्भया" जैसी घटना हुई है, किन्तु गैंगरेप करने वाले उसके अपने ही समाज के लोग ही थे और बाहर वाले जो कम अत्याचार कर रहे थे तो इन लोगों ने पूरा कर दिया,गैंगरेप के बाद उसके निजी अंग में सरिया डालकर उसकी बच्चादानी निकाल दी और उसकी मौत हो गई।जिन पर कार्रवाई अपेक्षित है चाहे वह किसी भी जाति वर्ग विशेष का हो।
मध्य प्रदेश के जिला धार में 13 साल की नाबालिग तीन महीने से रेप की FIR के लिए थानों के चक्कर काट रही है। जब पुलिस नहीं सुन रही थी, तब हाई कोर्ट में गुहार लगानी पड़ी और कोर्ट में भी एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट न लिखने के संबंध में पुलिस से जवाब मांगा है, जबकि उनको तत्काल नौकरी से बर्खास्त करना चाहिए था, किन्तु ऐसा नहीं हुआ।
आंध्र प्रदेश में तीन साल की दलित बच्ची के साथ रेप के बाद हत्या हुई है,जो आजकल आम बात है।
सवाल यह नहीं है कि घटनाएं क्यों हो रहीं हैं, सवाल यह है कि यह घटनाएं ओबीसी, एससी, एसटी वर्ग के समाज की महिलाओं के साथ ही यह दरिंदगी क्यों होती हैं?,कुलीन महिलाओं के साथ क्यों नहीं होती?,इसका सबसे बड़ा कारण है आर्थिक रूप से पिछड़ापन है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की महिलाओं के साथ ही यह दरिंदगी होती है,जिस दिन यह वर्ग आर्थिक रूप से सम्पन्न हो जाएगा,उसी समय से यह घटनाएं कम हो जाएगी, इसलिए एससी एवं एसटी आदि वर्ग के समाज को आर्थिक रूप से सम्पन्न होने की बहुत ही आवश्यकता है। थोड़ा केन्द्र एवं राज्य सरकारों को भी इन वारदातों में विशेष ध्यान देने की बहुत ही आवश्यकता है।