नगरपालिका की बैठक में उदासीनता—जनता की समस्याओं से मुंह मोड़ते जनप्रतिनिधि:फारबिसगंज
फारबिसगंज की हालिया नगरपालिका बैठक में जो स्थिति सामने आई, वह लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों पर गहरी चोट है। बैठक में न तो कोई स्पष्ट एजेंडा था, न ही अधिकारियों की गंभीर उपस्थिति दिखी। और सबसे चिंताजनक बात यह रही कि नगर की असली समस्याओं—जैसे जल निकासी, जर्जर सड़कें, सफाई व्यवस्था की बदहाली, पेयजल संकट और यातायात जाम—पर कोई ठोस चर्चा नहीं हुई।पूरी बैठक खानापूर्ति और चाय-बिस्किट की औपचारिकता बनकर रह गई। इससे यह सवाल उठना लाज़िमी है कि क्या जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि अब केवल औपचारिक बैठकों और स्वागत ट्रे तक सीमित हो गए हैं?क्या यह लोकतंत्र की ज़मीनी तस्वीर है?यह रवैया न सिर्फ जनता की आकांक्षाओं का मज़ाक है, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही की खुली अनदेखी भी है। फारबिसगंज की जनता सब देख रही है और अब वह चुप नहीं बैठेगी।हमारी माँग है कि:1. नगरपालिका की आगामी बैठकों का एजेंडा सार्वजनिक किया जाए।2. समस्याओं पर बिंदुवार, गंभीर चर्चा हो।3. आम नागरिकों को भी फीडबैक देने और सवाल पूछने का मंच मिले।लोकतंत्र में दिखावा नहीं, जवाबदेही जरूरी है।