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राजस्थान राज्य सूचना आयोग जयपुर द्वारा आरटीआई को कमजोर किया जा रहा है डिक्री तो की जाती है परंतु कोई शास्ति दंड आरोपित नहीं किया जाता है सूचना नहीं देने वाले अधिकारियों पर

राजस्थान राज्य सूचना आयोग जयपुर द्वारा द्वितीय अपील की सुनवाई के दौरान ना तो सूचना दिलवाई जाती है और ना ही सूचना नहीं देने वाले अधिकारियों/कर्मचारी पर शास्ति/दंडात्मक कार्रवाई भी नहीं की जाती है केवल डिक्री पारित की जाती है जिसमें लिखा जाता है कि 21 दिवस में सूचना दें जिस पर भी विभाग द्वारा कोई सूचना उपलब्ध नहीं कराई जाती है । जिससे आरटीआई एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा लगभग 1 वर्ष तक संघर्ष करके सूचना के अधिकार के आवेदन से लेकर द्वितीय अपील तक भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई पूर्ण नहीं हो पाती है तथा भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद होते हैं और जब कार्रवाई नहीं होती है तो भ्रष्टाचार करने का आत्मविश्वास भी बढ़ता है। साथी आरटीआई व सामाजिक कार्यकर्ताओं के के साथ सामाजिक मानसिक रूप से प्रताड़ना भी जारी रहती है जो उनके लिए भ्रष्टाचार से लड़ने का इनाम होता है जैसे फर्जी FIR आरटीआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ होना, भूमाफियाओं और असामाजिक तत्वों द्वारा तथा सामाजिक द्वारा प्रताड़ना धमकाना आदि।

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