logo

कैब कैंसिलेशन, टिप्स और ड्राइवरों की हत्याएं: नौशाद अली ने ठहराया ऐप-कैब कंपनियों को जिम्मेदार

नई दिल्ली, 25 मई 2025: सामाजिक कार्यकर्ता और विश्व भारती जनसेवा संस्थान के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नौशाद अली ने उबर, ओला और रैपिडो जैसी ऐप-आधारित कैब कंपनियों की शोषणकारी नीतियों को ड्राइवरों की बदहाली और हाल की हत्याओं का कारण बताया है। अपने शोध और सामाजिक कार्य के जरिए नौशाद अली ने कैब कैंसिलेशन, टिप्स की मजबूरी और ड्राइवरों पर बढ़ते हमलों के पीछे इन कंपनियों की गलत नीतियों को उजागर किया है।
कम किराया, भारी कमीशन: कैंसिलेशन की मजबूरी
नौशाद अली का शोध बताता है कि ऐप कंपनियां जानबूझकर ड्राइवरों को कम किराया देती हैं, जिससे उनकी आय गाड़ी के रखरखाव और रोजमर्रा के खर्च के लिए अपर्याप्त हो जाती है। "20-30% कमीशन और अव्यवहारिक राइड आवंटन ड्राइवरों को राइड कैंसिल करने के लिए मजबूर करता है। जब तक उचित किराया नहीं मिलेगा, ड्राइवर राइड क्यों उठाएंगे?" अली ने सवाल उठाया। एक ड्राइवर, रमेश कुमार (बदला हुआ नाम), ने कहा, "100 रुपये की राइड में 30 रुपये कंपनी ले लेती है। ट्रैफिक और ईंधन खर्च के बाद कुछ बचता ही नहीं।"

टिप्स: जीविका का सवाल
कम किराए के कारण ड्राइवरों को टिप्स पर निर्भर रहना पड़ता है। नौशाद अली ने बताया, "कंपनियां किराए का बड़ा हिस्सा कमीशन के रूप में लेती हैं, जिससे ड्राइवरों की आय न्यूनतम हो जाती है। टिप्स उनकी जीविका का आधार बन गया है।" एक रैपिडो ड्राइवर ने कहा, "कंपनी पूरा किराया नहीं देती, इसलिए यात्रियों से टिप्स मांगना पड़ता है।" सोशल मीडिया पर भी यात्रियों ने आरोप लगाया कि कंपनियां 'टिप' के नाम पर पैसा लेती हैं, जो शायद ही ड्राइवरों तक पहुंचता हो।
यात्रियों का गलत व्यवहार और ड्राइवरों की हत्याएं
नौशाद अली ने चेतावनी दी कि कई बार ड्राइवरों को शराबी या गलत व्यवहार करने वाले यात्रियों का सामना करना पड़ता है, जो राइड्स को जोखिम भरा बनाता है। हाल के वर्षों में ड्राइवरों पर हमले और हत्याओं की घटनाएं बढ़ी हैं। 2019 में पुणे में एक ड्राइवर की हत्या और दिल्ली व आगरा में ओला ड्राइवरों की हत्याएं इसका उदाहरण हैं। "कंपनियां ड्राइवरों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठातीं। नकली प्रोफाइल से बुकिंग करने वाले अपराधियों को रोकने के लिए कोई सख्त सत्यापन प्रक्रिया नहीं है," अली ने कहा।

नौशाद अली और विश्व भारती जनसेवा संस्थान की मुहिम
विश्व भारती जनसेवा संस्थान के उपाध्यक्ष नौशाद अली ड्राइवर यूनियनों के साथ मिलकर उनकी आवाज उठा रहे हैं। हाल ही में सहारा इंडिया पीड़ितों के लिए सांसदों को ज्ञापन सौंपने वाले अली कहते हैं, "मीडिया यात्रियों की शिकायतों को तो उठाता है, लेकिन ड्राइवरों का दर्द अनदेखा करता है। कंपनियों की गलत नीतियां ड्राइवरों को शोषण और खतरे में डाल रही हैं।" वे कमीशन में कटौती, उचित किराया और ड्राइवरों की सुरक्षा के लिए सख्त नीतियों की मांग कर रहे हैं।
बदलाव की जरूरत
नौशाद अली ने सरकार से मांग की है कि ऐप कंपनियों पर नियामक नियंत्रण बढ़ाया जाए ताकि ड्राइवरों को उचित मेहनताना और सुरक्षित कार्य वातावरण मिले। "ड्राइवरों की हत्याएं और शोषण रोकने के लिए कंपनियों को जवाबदेह बनाना होगा।" उन्होंने यात्रियों से भी ड्राइवरों की मजबूरी समझने की अपील की। विश्व भारती जनसेवा संस्थान के बैनर तले उनकी यह मुहिम ड्राइवरों के लिए नई उम्मीद लेकर आई है।

22
1816 views