
लांघा तिराहा बना जाम एवं प्रदूषण का केंद्र
लांघा तिराहा बना प्रदूषण और जाम का केंद्र, खनन वाहनों से जनता परेशानविकासनगर: तहसील विकासनगर के अंतर्गत लांघा तिराहा इन दिनों प्रदूषण और यातायात जाम का प्रमुख केंद्र बन गया है। इसका मुख्य कारण खनन वाहनों की अत्यधिक आवाजाही और तौल कांटों के सामने खड़े ट्रक हैं, जो हाईवे को रात-दिन बाधित कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि तौल कांटों पर खुले में रखी रेत और बजरी वाहनों के चलने से उड़ने वाली धूल राहगीरों के लिए गंभीर समस्या बन रही है, जिससे न केवल दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है, बल्कि स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं।हाल ही में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच यह धूल सांस संबंधी समस्याओं को और गंभीर कर रही है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि धूल के कारण सांस लेने में तकलीफ, खांसी और एलर्जी जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। खासकर बच्चों और बुजुर्गों को इस प्रदूषण का सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है। एक स्थानीय निवासी, रमेश चंद्र ने बताया, "लांघा तिराहे पर दिन-रात ट्रकों की आवाजाही रहती है। रेत और बजरी से उड़ने वाली धूल से सांस लेना मुश्किल हो जाता है। कोविड के इस दौर में यह और भी खतरनाक है।"यातायात जाम भी इस क्षेत्र में एक बड़ी समस्या बन गया है। तौल कांटों के सामने खड़े ट्रक और सड़क पर बिखरी रेत के कारण वाहनों की आवाजाही बाधित होती है, जिससे लंबा जाम लग जाता है। इससे न केवल स्थानीय लोगों को परेशानी हो रही है, बल्कि राहगीरों और यात्रियों को भी घंटों इंतजार करना पड़ता है। यातायात पुलिस और प्रशासन की ओर से इस समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं, जिससे लोगों में रोष बढ़ रहा है।स्थानीय लोगों ने मांग की है कि तौल कांटों को हाईवे से हटाकर कहीं और स्थानांतरित किया जाए और खुले में रखी रेत व बजरी को ढकने के लिए उचित इंतजाम किए जाएं। साथ ही, अवैध खनन और ओवरलोड वाहनों पर सख्त कार्रवाई की मांग भी उठ रही है।जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुरोध है कि इस समस्या का तत्काल समाधान किया जाए, ताकि लांघा तिराहा फिर से सुरक्षित और स्वच्छ बन सके। यदि जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया गया, तो स्थानीय लोग सड़क जाम करने की चेतावनी दे रहे हैं।