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दिहाड़ी मजदूर का बेटा बना BPSC शिक्षक

सरकारी स्कूल से शुरू हुआ सफर, प्रतिष्ठित CBSE/ ICSE स्कूलों में पढ़ाया और अब BPSC TRE 3.0 से बने हाई स्कूल गणित शिक्षक — कौशल कुमार की संघर्ष से सफलता तक की प्रेरक कहानी
संघर्ष चाहे जितना भी बड़ा हो, अगर इरादा मजबूत हो तो मंज़िल जरूर मिलती है।" इस कथन को सच कर दिखाया है जिला गया गाँव पिपराही रामनरेश शर्मा के पुत्र कौशल कुमार ने, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी और अब BPSC TRE 3.0 के माध्यम से हाई स्कूल में गणित शिक्षक पद पर चयनित होकर समाज को दिशा देने की ओर कदम बढ़ाया है।
कौशल कुमार ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एक साधारण सरकारी विद्यालय से प्राप्त की, जहाँ सुविधाओं की कमी थी, लेकिन सीखने की ललक भरपूर थी। आर्थिक चुनौतियाँ थीं, संसाधनों की सीमाएँ थीं, लेकिन माता-पिता के संस्कार और अपने आत्मविश्वास से उन्होंने हर बाधा को पार किया। अपनी मेहनत और योग्यता के बल पर इन्होंने प्रमुख CBSE/ ICSE स्कूलों में बतौर गणित शिक्षक कार्य किया। वहाँ विद्यार्थियों को कठिन विषय को सरल तरीके से समझाने की कला ने इन्हें एक बेहतरीन शिक्षक के रूप में पहचान दिलाई। इस अनुभव ने न केवल ज्ञान बढ़ाया, बल्कि एक शिक्षक की असली जिम्मेदारी भी सिखाई — विद्यार्थियों के जीवन को आकार देना।

अब BPSC TRE 3.0 परीक्षा में सफलता के बाद कौशल कुमार को सरकारी विद्यालय में सेवा करने का अवसर मिला है। अपनी सफलता पर भावुक होते हुए वे कहते हैं:

"यह सिर्फ एक नौकरी नहीं, मेरे जीवन का उद्देश्य है। मेरे माता-पिता ने अपने सपनों को त्याग कर मुझे शिक्षित किया। उन्होंने कभी हालातों को मेरे भविष्य पर हावी नहीं होने दिया। आज जो कुछ भी हूँ, उन्हीं के आशीर्वाद और मार्गदर्शन का परिणाम है।"

वे आगे कहते हैं:

"अब मेरी ज़िम्मेदारी है कि मैं अपने ज्ञान और अनुभव से ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को भी वही गुणवत्ता दूँ जो अब तक शहरों के छात्र पाते रहे हैं। मैं यह वचन देता हूँ कि अपने हर विद्यार्थी में आत्मविश्वास, सोचने की शक्ति और बेहतर नागरिक बनने का भाव जाग्रत करूँगा। मेरी कोशिश सिर्फ अच्छे अंक नहीं, अच्छे इंसान तैयार करने की होगी।"

कौशल कुमार की सफलता उन सभी युवाओं के लिए एक प्रकाश स्तंभ है जो सीमित संसाधनों में भी बड़ा सोचते हैं और शिक्षा को देश सेवा का माध्यम मानते हैं।

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