logo

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बने महाराष्ट्र के परमानेंट गेस्ट, राज्य सरकार ने जारी किया प्रोटोकॉल

Chief Justice BR Gavai: देश के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई (भूषण रामकृष्ण गवई) कुछ दिनों पहले महाराष्ट्र दौरे पर आए थे। उस दौरान प्रोटोकॉल में ढिलाई बरती गई थी। जिस पर जस्टिस गवई ने नाराजगी जताई थी। इसके बाद राज्य में देवेंद्र फडणवीस सरकार हरकत में आई है। सरकार ने प्रोटोकॉल टूटने पर दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली राज्य सरकार ने सीजेआई गवई को लेकर बड़ा ऐलान किया है। सरकार ने सभी अधिकारियों को प्रोटोकॉल का ध्यान रखने के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार चीफ जस्टिस गवई को महाराष्ट्र में परमानेंट स्टेट गेस्ट का दर्जा दिया है। बता दें कि सीजेआई गवई का गृह राज्य महाराष्ट्र है।



जस्टिस बीआर गवई 14 मई को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनने के बाद 18 मई को पहली बार महाराष्ट्र गए थे। हालांकि, मुंबई में उन्हें स्टेट चीफ सेक्रेटरी, DGP या मुंबई पुलिस कमिश्नर में से कोई भी रिसीव करने नहीं आए थे, जिसपर CJI गवई ने नाराजगी जाहिर की थी। इस घटना के बाद महाराष्ट्र सरकार को काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी। राज्य के कैबिनेट मंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि उन्होंने प्रोटोकॉल में चूक के लिए राज्य सरकार की ओर से CJI गवई से फोन पर माफी मांगी है।

विपक्ष ने इस बनाया था मुद्दा
महाराष्ट्र में सीजेआई का प्रोटोकॉल टूटने पर कांग्रेस नेता नाना पटोले और यूबीटी नेता अंबादास दानवे सहित विपक्षी नेताओं ने राज्य सरकार की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि सीजेआई गवई अपनी अंबेडकरवादी विचारधारा के लिए जाने जाते हैं। प्रोटोकॉल की अनदेखी उनका जानबूझकर अपमान करने का प्रयास है।


परमानेंट स्टेट गेस्ट को किस तरह की मिलती हैं सुविधाएं?
किसी राज्य में अगर किसी शख्स को परमानेंट स्टेट गेस्ट का दर्जा दिया जाता है तो उसके बाद उस राज्य में उस शख्स को बेहद उच्च किस्म की सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं। एक तरह से कहें तो राज्य में राजाओं वाला ट्रीटमेंट दिया जाता है। राज्य के किसी भी गेस्ट हाउस में, सर्किट हाउस में या राजभवन में बिना किसी शुल्क के ठहरने की सुविधा मिलती है। एयरपोर्ट हो या रेलवे स्टेशन हो या कोई और जगह पिकअप और ड्रॉप की भी व्यवस्था की जाती है। चीफ जस्टिस के मुंबई दौरे के दौरान चीफ सेक्रेटरी या उनके सीनियर प्रतिनिधि, DGP या सीनियर प्रतिनिधि उनका स्वागत करेंगे। किसी जिले के दौरे पर वहां के जिला कलेक्टर और पुलिस कमिश्नर या SP या उनके सीनियर अफसरों को CJI का स्वागत करने का निर्देश दिया गया है।

क्यों दिया जाता है स्टेट गेस्ट का दर्जा
परमानेंट स्टेट गेस्ट का दर्जा सम्मान के प्रतीक के तौर पर दिया जाता है। अगर किसी व्यक्ति का उस राज्य से जुड़ाव है या वह राज्य उसका जन्म स्थान है। उसने वहां बहुत योगदान दिया है। तब ऐसी स्थिति में यह दर्जा दिया जाता है। महाराष्ट्र राज्य अतिथि नियमावली, 2004 के तहत CJI बीआर गवई को यह दर्जा दिया गया है।


22
1707 views