सुभारती के ललित कला विभाग द्वारा अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती पर हुआ विशेष आयोजन
मेरठ - स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ के ललित कला विभाग ने अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती को कलात्मक एवं रचनात्मकता के साथ मनाया जयंती पर विशेष कार्यक्रम पेंटिंग प्रतियोगिता के अवसर पर कला के विद्यार्थियों द्वारा कला प्रतियोगिया मे विभिन्न कला आकृतियों का भव्य चित्रण किया गया जिसमें कलात्मक अभिव्यक्ति की शक्ति को छात्रों और शिक्षकों की विविध प्रतिभाओं को उजागर करने सक्षम हुआकार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कार्यकारणी डॉ शल्या राज व विश्वविद्यालय के कुलपति एवं विभाग के प्रधानाचार्य मुख्य रूप से उपस्थित रहे।विश्वविद्यालय की कार्यकारणी डॉ शल्या राज व विश्वविद्यालय के कुलपति जी द्वारा छात्रों का सम्बोधन किया कि भारत के इतिहास में कई ऐसी वीरांगनाएं हुईं जिन्होंने अपने अद्वितीय शासन और दूरदर्शिता से इतिहास के पन्नों और कहानियों में अमिट छाप छोड़ी। इन्हीं में से एक थीं मालवा की रानी अहिल्या बाई होलकर। उन्हें आज भी एक आदर्श प्रशासिका, न्यायप्रिय शासिका और धर्मपरायण महिला के रूप में याद किया जाता है कार्यक्रम में प्रिंसिपल प्रोफेसर (डॉ पिंटू मिश्रा की उपस्थिति ने शोभा बढ़ाई जिन्होंने शिक्षा और समाज में कला की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कला केवल संस्कृति का प्रतिबिंब नहीं है बल्कि परिवर्तन शांति औरs संवाद का एक साधन है। जिसको पहचानने की आवश्यकता हैं और युवा कलाकारों को प्रोत्साहित करने का अवसर देता है।कार्यक्रम का एक प्रमुख आकर्षण छात्रों के कला कार्यों का प्रदर्शन था जिसमें पेंटिंग मूर्तिकला मिश्रित मीडिया और डिजिटल कला के काम शामिल थे जो सभी शांति और स्थिरता के लिए कला थीम पर केंद्रित थे। स्टूडेंट्स के कला कार्यों की काफी सराहना की गईविभागाध्यक्ष डॉ पूजा गुप्ता ने कहा कला हमें कल्पना की शक्ति और आज की दुनिया में रचनात्मक सोच के महत्व की याद दिलाता है। डॉ वन्दना तोमर शैक्षणिक समन्वयक ललित कला विभाग ने छात्रों के प्रयासों पर गर्व व्यक्त किया और कहा कला एक ऐसी भाषा है जो संस्कृतियों और समुदायों में बोलती है ।कार्यक्रम का संचालन श्री कृष्ण कुमार के द्वारा किया गया और कहा कला हमें सीमाओं से परे जुड़ने की अनुमति देती है। कार्यक्रम के अवसर पर विभाग के सभी विद्यार्थि प्रखर ,कीर्तिका ,लवी ,रोहित ,चिराग आदि ने भाग लिया एवं अध्यापक मौजूद रहे सभी विद्यार्थि के कार्यो प्रेरित हुए अहिल्याबाई ने राज्य को मजबूत करने के लिए अपने नेतृत्व में महिला सेना की स्थापना की। अहिल्याबाई ने स्त्रियों को उनका उचित स्थान दिया। अहिल्या ने लड़कियों की पढ़ाई-लिखाई को विस्तार देने का प्रयास किया