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विंध्याचल एंक्लेव मे विकास नहीं,भ्रष्टाचार की बुनियाद —बिजली पानी को तरसे लोग, JE और XEN पर लगे कमीशनखोरी के गंभीर आरोप


मुरादाबाद विकास प्राधिकरण की महत्वाकांक्षी आवासीय योजना विंध्याचल एंक्लेव सोसाइटी में मूलभूत सुविधाओं का अभाव और गहराता भ्रष्टाचार एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है, जहां बिजली और पानी जैसी बुनियादी आवश्यकताओं से कॉलोनी के निवासी आज भी वंचित हैं। इस सोसाइटी में न तो पानी की कोई समुचित व्यवस्था है, न ही बिजली की सप्लाई दुरुस्त है, जिससे आम लोगों को भीषण समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बिजली की आपूर्ति एक पुराने और जर्जर 33 केवी ट्रांसफार्मर के माध्यम से की जा रही है, जो आए दिन खराब होता रहता है और इससे बार-बार बिजली बाधित होती है, जिससे लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। कॉलोनी में ना तो पीने के पानी की उचित व्यवस्था है और ना ही सीवर लाइन पूरी तरह से कार्यरत है। साथ ही, भवनों की गुणवत्ता को लेकर भी गंभीर आरोप सामने आ रहे हैं। निर्माण में भारी भ्रष्टाचार हुआ है, फर्श जगह-जगह से बैठ गए हैं और इमारतों की नींव तक कमजोर हो चुकी है, जिससे भविष्य में जान-माल के नुकसान की आशंका से लोग भयभीत हैं। इन सबके पीछे कॉलोनी निर्माण से जुड़े इंजीनियरों और प्राधिकरण के जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत बताई जा रही है। कॉलोनीवासियों का आरोप है कि जेई योगेश गुप्ता और एक्सईएन पंकज पांडे ने निर्माण कार्यों के ठेकेदारों से मोटी रिश्वत ली है और 20 प्रतिशत कमीशन लेकर सभी बिल पास कर दिए, जिसके बदले में घटिया निर्माण कार्यों पर आंखें मूंद ली गईं। इन अधिकारियों ने ठेकेदारों को खुली छूट दी, जिसके चलते न गुणवत्ता का ख्याल रखा गया और न ही नियमानुसार निर्माण की निगरानी की गई। इससे प्रतीत होता है कि भ्रष्टाचार की जड़ें बेहद गहरी हैं और इसकी भनक उच्चाधिकारियों को भी रही होगी, लेकिन सबने चुप्पी साध ली। मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के अन्य अधिकारी भी जेई और एक्सईएन की दबंगई के आगे मौन हैं और जानबूझकर अनदेखी कर रहे हैं। स्थानीय निवासी कई बार अफसरों से बिजली-पानी की समस्याओं को लेकर शिकायत कर चुके हैं, लेकिन न कोई सुनवाई हुई और न ही कोई स्थायी समाधान मिला। शासन-प्रशासन की यह खामोशी और निष्क्रियता इस बात की गवाही देती है कि कहीं न कहीं सब कुछ जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है। इतना सब होने के बावजूद शासन की ओर से कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई, जिससे योगी आदित्यनाथ सरकार की 'भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस' नीति पर भी सवाल उठने लगे हैं। विंध्याचल एंक्लेव की स्थिति आज एक उपेक्षित, अर्धनिर्मित और परेशानियों से घिरी कॉलोनी की तरह बन चुकी है, जहां लोगों ने लाखों रुपये खर्च कर घर खरीदे, लेकिन उन्हें न तो बुनियादी सुविधाएं मिल रही हैं और न ही अधिकारियों की जवाबदेही तय हो रही है। इस पूरे मामले में उच्च स्तरीय जांच की जरूरत है ताकि दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों पर कड़ी कार्रवाई की जा सके और जनता को न्याय मिल सके। यदि शासन और प्रशासन ने समय रहते इस मामले में हस्तक्षेप नहीं किया, तो यह न केवल स्थानीय लोगों के आक्रोश को भड़का सकता है, बल्कि सरकार की साख को भी गहरा धक्का पहुंचा सकता है।


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