देवघर में भाजपा ने 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता पर निकाली भव्य तिरंगा यात्रा देशभक्ति नारों से गूंज उठा देवघर, सैकड़ों नागरिकों ने लिया भाग
रिपोर्ट: राजा कुमार, देवघर ब्यूरो चीफ
देवघर:
देश की सेना द्वारा पाकिस्तान स्थित आतंकियों के ठिकानों को तबाह कर दिए जाने की कार्रवाई — "ऑपरेशन सिंदूर" की सफलता और भारतीय सेना के सम्मान में भाजपा देवघर जिला इकाई ने शुक्रवार को एक विशाल तिरंगा यात्रा का आयोजन किया।
यात्रा की शुरुआत शिवलोक परिसर से हुई और यह वीर कुंवर सिंह चौक तक गई। यात्रा का नेतृत्व भाजपा जिलाध्यक्ष सचिन रवानी ने किया। इस कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में आम नागरिक, सामाजिक संगठन और भाजपा कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। हाथों में तिरंगा लिए लोगों ने "भारत माता की जय", "वंदे मातरम्" जैसे नारों से पूरे शहर को देशभक्ति के रंग में रंग दिया।
भाषणों में आतंक के खिलाफ कड़ा संदेश
मौके पर सारठ के पूर्व विधायक रंधीर सिंह ने कहा कि कश्मीर के पहलगाम में सैलानियों की पहचान पूछकर आतंकियों द्वारा की गई हत्या निंदनीय है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृढ़ नेतृत्व में सेना ने इसका माकूल जवाब दिया है।
वहीं, पूर्व विधायक नारायण दास ने कहा,
"पहलगाम हमले में हमारी बहनों का सिंदूर मिटाने वालों को ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से उसी भाषा में जवाब मिला है। भारत अब आतंकियों को उनके घर में घुसकर मारता है।"
उन्होंने राफेल, मिसाइल और सेना की ताकत की सराहना करते हुए इसे "नए भारत" की पहचान बताया।
मुख्य नेता एवं कार्यकर्ता रहे मौजूद:
इस तिरंगा यात्रा में कई वरिष्ठ नेता व कार्यकर्ता शामिल रहे, जिनमें प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:
सत्येंद्र सिंह (जिला प्रभारी),
संतोष उपाध्याय (जिला महामंत्री),
रीता चौरसिया, संजीव जजवाड़े, विशाखा सिंह, रवि तिवारी, कन्हैया झा, पप्पू यादव, राजीव रंजन सिंह, सचिन सुल्तानिया,
विनय चंद्रवंशी, अमृत मिश्रा, चंद्रशेखर खवाड़े, पंकज सिंह भदौरिया, धनंजय तिवारी, निरंजन देव, तुफान महथा, भूषण सोनी, अभय आनंद झा,
गौरी शंकर शर्मा, नवल राय, अशोक सिंह, कुंदन कुमार, गोविंद यादव, रूपा केशरी, आशीष दुबे, संतोष मुरमुर, सुनीता जायसवाल,
प्रमोद राय, जयप्रकाश सिंह, संजय राय, विष्णु रावत, महेंद्र भोक्ता, बलराम पोद्दार, विनीता पासवान, कुसुम सिंह, संध्या कुमारी और सभी मंडल अध्यक्ष और कार्यकर्ता शामिल थे।
राष्ट्रीय गर्व का प्रदर्शन:
यह तिरंगा यात्रा न केवल आतंक के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक बनी, बल्कि इसमें आम जनता की भागीदारी ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारतवासी अपने सैनिकों के शौर्य और साहस पर गर्व करते हैं।