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मसूरी का सन्नाटा: पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर का असर, टूरिज्म सीजन धराशायी

मसूरी, 18 मई — इस बार पहाड़ों में गर्मी के मौसम की शुरुआत कुछ अलग ही मिजाज़ लेकर आई है। आमतौर पर मई-जून का महीना उत्तराखंड जैसे पर्यटन राज्यों में चहल-पहल से भरा होता है, परंतु इस बार नज़ारा कुछ और ही है। पहलगाम हमले के बाद चले ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद उपजे युद्ध जैसे हालात ने पर्यटकों की मानसिकता पर गहरा असर डाला है। इसके कारण उत्तर भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में निराशा का माहौल छा गया है।

हरिद्वार, ऋषिकेश और चारधाम जैसे स्थलों पर, जहां इन दिनों होटल और होमस्टे हाउसफुल रहा करते थे, अब मात्र 40 प्रतिशत ऑक्युपेंसी देखने को मिल रही है — वह भी वीकेंड पर। मसूरी, जो गर्मियों में सैलानियों की पहली पसंद होती है, वहां की हालत भी कुछ अलग नहीं। होटल मालिकों और होमस्टे संचालकों का कहना है कि इस बार सीजन बेहद खराब चल रहा है। जून के लिए की गई एडवांस बुकिंग्स भी अब रद्द होने लगी हैं।

शनिवार को, जब आमतौर पर होटल के कमरे डबल रेट पर मिलते हैं, इस बार रेट आधे रह गए और ऑक्युपेंसी 50% तक ही सिमट गई। रविवार तक आते-आते अधिकांश सैलानी चेकआउट कर चुके हैं। मसूरी के बाजार, पार्किंग, रेस्टोरेंट और सड़कें, सब सूनी-सूनी नज़र आ रही हैं।

व्यवसायियों का कहना है कि हालात बेहद चिंताजनक हैं। होटल, गेस्ट हाउस और टैक्सी सेवा संचालकों के लिए यह समय साल की सबसे ज्यादा कमाई का होता है। “अगर जून नहीं चला, तो पूरा साल नहीं चलेगा,” एक होटल संचालक ने निराशा भरे स्वर में कहा।

इन हालात में होटल और अन्य पर्यटन व्यवसायियों की मांग है कि सरकार इस वर्ष के बिजली और पानी के बिलों में विशेष रियायत दे, ताकि वे किसी तरह अपने व्यापार को बचा सकें। टैक्सी चालक भी चिंतित हैं — सड़कों पर गाड़ियों की आवाजाही घटने से उनकी आमदनी पर सीधा असर पड़ा है।

अब सभी की नजरें मौसम और माहौल पर टिकी हैं, उम्मीद है कि हालात सामान्य होंगे और जून का बाकी बचा समय व्यापार के लिहाज़ से राहत लेकर आएगा। मगर इस बार की सुस्त शुरुआत ने मसूरी के पर्यटन व्यवसाय पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है।

रिपोर्ट: रजत शर्मा

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