कर्म की अपेक्षा पैसा ही आज का धर्म बनकर रह गया
यह बात 100% सच है मौसम से ज्यादा रंग इंसान बदल रहा है कुत्तों से ज्यादा तलवे इंसान चाट रहा है रंग बदलने में इंसान गिरगिट को भी पीछे छोड़ चुका है अपने निजी स्वास्थ्य के लिए किस हद तक आज का इंसान गिर रहा है इसका अंदाजा लगाना भी संभव है पैसे के लिए वह अपनी सारी हदें पर कर चुका है ऊपर वाले की अदालत में पैसा रुतबा हैसियत औकात यह सब नहीं देखी जाती वहां सिर्फ इंसान के कारण देखे जाते हैं इसलिए सात्विक कम करो ताकि आपका जीवन सफल हो