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रिलायंस इंडस्ट्रीज को ₹25,500 करोड़ का विदेशी ऋण: एक विस्तृत रिपोर्ट

मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने हाल ही में ₹25,500 करोड़ (लगभग $3 बिलियन) का विदेशी ऋण प्राप्त किया है। यह ऋण भारत की किसी कंपनी द्वारा पिछले एक वर्ष में लिया गया सबसे बड़ा विदेशी ऋण है, जो कंपनी की वित्तीय स्थिरता और वैश्विक निवेशकों के विश्वास को दर्शाता है।

ऋण की संरचना और उद्देश्य 
• मुद्रा और अवधि: यह ऋण दो मुद्राओं—अमेरिकी डॉलर और जापानी येन—में लिया गया है, जिसकी अवधि पांच वर्ष है।
• ब्याज दर: डॉलर में लिया गया ऋण तीन महीने के SOFR (Secured Overnight Financing Rate) से 120 बेसिस पॉइंट अधिक ब्याज दर पर है, जबकि येन में लिया गया ऋण तीन महीने के TIBOR (Tokyo Interbank Offer Rate) से 75 बेसिस पॉइंट अधिक ब्याज दर पर है। 
• उद्देश्य: इस ऋण का मुख्य उद्देश्य 2025 में परिपक्व हो रहे लगभग $2.9 बिलियन के मौजूदा ऋणों का पुनर्वित्त (refinancing) करना है। 

प्रमुख ऋणदाता बैंक

इस ऋण में 11 प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बैंकों ने भाग लिया है:
• बैंक ऑफ अमेरिका: $343 मिलियन 
• डीबीएस बैंक और एचएसबीसी: $300 मिलियन प्रत्येक 
• जापान का MUFG: $280 मिलियन 
• स्टेट बैंक ऑफ इंडिया: $275 मिलियन 
• स्टैंडर्ड चार्टर्ड, मिज़ुहो बैंक, और SMBC: $250 मिलियन प्रत्येक 
• फर्स्ट अबू धाबी बैंक, सिटीबैंक, और क्रेडिट एग्रीकोल CIB: $241 मिलियन प्रत्येक 

इसके अतिरिक्त, रिलायंस इस ऋण को व्यापक बाजार में सिंडिकेट करने की योजना बना रही है, जिसमें ANZ, बार्कलेज, जेपी मॉर्गन, और अन्य वैश्विक बैंक शामिल हो सकते हैं। 

क्रेडिट रेटिंग और वित्तीय स्थिति
• क्रेडिट रेटिंग: रिलायंस की क्रेडिट रेटिंग S&P द्वारा BBB+ है, जो भारत की BBB- संप्रभु रेटिंग से एक स्तर ऊपर है। 
• वित्तीय स्थिति: कंपनी की मजबूत आय और नियंत्रित ऋण स्तर ने इसे निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाया है।

भविष्य की योजनाएं

रिलायंस इस ऋण का उपयोग न केवल मौजूदा ऋणों के पुनर्भुगतान के लिए करेगी, बल्कि भविष्य में पूंजीगत व्यय और विस्तार योजनाओं के लिए भी करेगी। कंपनी की योजना है कि इस ऋण को 2025 की पहली तिमाही में व्यापक बाजार में सिंडिकेट किया जाए।

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