सेना का अपमान, बीजेपी की चुप्पी: विजय शाह और जगदीश देवड़ा के बराबर ही मोहन यादव भी दोषी
*सेना का अपमान, बीजेपी की चुप्पी: विजय शाह और जगदीश देवड़ा के बराबर ही मोहन यादव भी दोषी*
भारतीय सेना, जो देश की आन-बान-शान का प्रतीक है, आज मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार के नेताओं के विवादित बयानों के कारण अपमान का शिकार हो रही है। पहले कैबिनेट मंत्री विजय शाह ने सेना की महिला इन्फेंट्री अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर अभद्र और सांप्रदायिक टिप्पणी की, और अब उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने सेना को “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चरणों में नतमस्तक” बताकर सैन्य बलों की स्वतंत्रता और गरिमा पर सवाल उठाए हैं। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने विजय शाह की भाषा को “गटरछाप” करार देते हुए उनके खिलाफ FIR का आदेश दिया, और सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी टिप्पणी को शर्मनाक बताया। लेकिन इस सबके बावजूद, नरेंद्र मोदी, बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व, और मध्य प्रदेश के लाचार, बेबस, और कमजोर मुख्यमंत्री मोहन यादव की चुप्पी देश को हैरान कर रही है।
*अब लगता है कि असली कार्यवाही मोहन यादव पर ही होनी चाहिए, क्योंकि देश की अखंडता और सेना के सम्मान पर खतरा पैदा करने वाले देशद्रोह जैसे बयानों को संरक्षण देना भी देशद्रोह ही है, और इसीलिए सबसे पहले उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।*
▪️ *विजय शाह का बयान: सेना और देश की बेटी का अपमान*
👉 मध्य प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह ने इंदौर के महू में एक कार्यक्रम में कर्नल सोफिया कुरैशी, जो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की नायिका हैं, को “आतंकवादियों की बहन” कहकर न केवल उनकी व्यक्तिगत गरिमा, बल्कि भारतीय सेना और देश की हर बेटी का अपमान किया। हाईकोर्ट ने इसे “सांप्रदायिकता को बढ़ाने वाला” और “गटरछाप” बयान करार देते हुए उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 196, 152, और 197 के तहत FIR दर्ज करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी विजय शाह को कड़ी फटकार लगाई, लेकिन बीजेपी और मोहन यादव ने इस मामले में कोई कार्रवाई करने की बजाय चुप्पी साध ली।
मोहन यादव की इस मामले में निष्क्रियता उनकी कमजोरी को उजागर करती है। एक मुख्यमंत्री के तौर पर, उन्हें तत्काल विजय शाह को बर्खास्त करना चाहिए था, लेकिन उनकी बेबसी और चुप्पी इस अपराध को और गंभीर बनाती है। अब साफ है कि इस मामले में असली कार्यवाही मोहन यादव पर होनी चाहिए, क्योंकि उनकी निष्क्रियता ने इस अपमान को और बढ़ावा दिया है।
▪️ *जगदीश देवड़ा का बयान: सेना की स्वतंत्रता पर सवाल*
👉 विजय शाह के बयान का विवाद अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने एक और विवाद खड़ा कर दिया। जबलपुर में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “पूरा देश, देश की सेना, सैनिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चरणों में नतमस्तक हैं।” यह बयान भारतीय सेना की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर सीधा हमला है। सेना, जो देश की रक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगाती है, किसी व्यक्ति या राजनेता के सामने नतमस्तक नहीं होती। यह बयान न केवल सेना का अपमान है, बल्कि यह सैन्य बलों को एक राजनीतिक दल के अधीन दिखाने की कोशिश भी है।
बीजेपी के नेताओं की यह प्रवृत्ति, जो सेना को अपनी राजनीति का मोहरा बनाना चाहती है, देश की एकता और सेना की गरिमा के लिए खतरनाक है। मोहन यादव, जो इस मामले में भी खामोश रहे, ने एक बार फिर साबित किया कि वे अपने मंत्रियों पर नियंत्रण रखने में पूरी तरह असमर्थ हैं। उनकी इस निष्क्रियता ने उन्हें एक लाचार और कमजोर मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित कर दिया है, और अब यह स्पष्ट है कि असली जवाबदेही उन पर तय होनी चाहिए।
▪️ *मोहन यादव की बेबसी: देशद्रोह का संरक्षण*
👉 मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़े गुनहगार नजर आते हैं। विजय शाह के बयान के बाद, जब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई के आदेश दिए, तब भी मोहन यादव ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। रीवा में एक कार्यक्रम में जब उनसे इस बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने जवाब देने से इनकार करते हुए कहा, “छोड़ो-छोड़ो, हो गया हो गया।” यह जवाब न केवल उनकी गैर-जिम्मेदाराना रवैये को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वे सेना के अपमान जैसे गंभीर मामले को हल्के में ले रहे हैं।
जगदीश देवड़ा के बयान पर भी मोहन यादव की चुप्पी उनकी कमजोरी को और उजागर करती है। एक मुख्यमंत्री के तौर पर, उनके पास अपने मंत्रिमंडल को अनुशासित करने की शक्ति है, लेकिन वे बार-बार असहाय और बेबस साबित हुए हैं। देशद्रोह जैसे बयानों को संरक्षण देना अपने आप में देशद्रोह है। इसीलिए, विजय शाह और जगदीश देवड़ा से पहले मोहन यादव पर असली कार्यवाही होनी चाहिए। उन्हें अपनी लाचारी और देशद्रोह जैसे कृत्यों को संरक्षण देने की जिम्मेदारी लेते हुए तत्काल इस्तीफा देना चाहिए।
▪️ *बीजेपी का दोहरा चरित्र: राष्ट्रवाद का ढोंग*
👉 बीजेपी, जो हर मंच पर “राष्ट्रवाद” और “सेना के सम्मान” का नाटक करती है, इस मामले से पूरी तरह बेनकाब हो रही है। उमा भारती जैसे वरिष्ठ नेताओं ने भी शाह की बर्खास्तगी की मांग की, लेकिन मोहन यादव और बीजेपी नेतृत्व ने इसे अनसुना कर दिया।
जगदीश देवड़ा के बयान ने बीजेपी के इस दोहरे चरित्र को और उजागर किया। अब यह भी सवाल उठाता है कि क्या बीजेपी का “राष्ट्रवाद” सिर्फ चुनावी जुमला है? क्या पार्टी केवल वोटों के लिए सेना का नाम इस्तेमाल करती है, लेकिन जब बात जवाबदेही की आती है, तो चुप्पी साध लेती है? मोहन यादव की निष्क्रियता इस ढोंग को और पुख्ता करती है, और अब समय आ गया है कि उन पर सख्त कार्यवाही हो।
*विजय शाह और जगदीश देवड़ा के बयानों ने भारतीय सेना, कर्नल सोफिया कुरैशी, और देश की जनता की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने अपना फर्ज निभाया, लेकिन बीजेपी, नरेंद्र मोदी, और मोहन यादव की चुप्पी और निष्क्रियता देश को निराश कर रही है।