
नरेंद्र मोदी और बीजेपी की चुप्पी: अपने ही देश की सेना का सम्मान नहीं बचा पा रहे कमजोर प्रधानमंत्री
*नरेंद्र मोदी और बीजेपी की चुप्पी: अपने ही देश की सेना का सम्मान नहीं बचा पा रहे कमजोर प्रधानमंत्री*
भारत की शान, भारतीय सेना की महिला इन्फेंट्री अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी, जिन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए देश का गौरव बढ़ाया, आज बीजेपी की घृणित और विषाक्त विचारधारा का शिकार बन गई हैं। मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार के मंत्री विजय शाह ने कर्नल सोफिया पर अभद्र, सांप्रदायिक और सेना का अपमान करने वाला बयान दिया। उन्होंने कुरैशी को “आतंकवादियों की बहन” कहकर एक सैन्य अधिकारी और पूरे देश की बेटी का अपमान किया। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इसे सेना की अस्मिता और मनोबल पर हमला माना, मंत्री की भाषा को “गटरछाप” करार देते हुए विजय शाह के खिलाफ FIR का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी मंत्री को फटकार लगाई, उनकी भाषा को शर्मनाक बताया। लेकिन इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ा सवाल यह है कि देश के “तथाकथित मजबूत नेता” नरेंद्र मोदी, उनकी पार्टी बीजेपी, और मध्य प्रदेश के लाचार, बेबस, और कमजोर मुख्यमंत्री मोहन यादव इस घिनौने कृत्य पर चुप क्यों हैं?
*सेना के सम्मान का ढोंग और सियासी चुप्पी*
नरेंद्र मोदी इस पूरे मामले में मंत्री को बर्खास्त करने की बजाय पूरी तरह मौन धारण किए हुए हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, जिनके मंत्रिमंडल में विजय शाह बैठते हैं, इस मामले में पूरी तरह बेबस और कमजोर नजर आ रहे हैं। जब पूरा देश कर्नल सोफिया पर गर्व कर रहा था, तब बीजेपी का एक वरिष्ठ मंत्री उनकी गरिमा को तार-तार कर रहा था। न तो मोदी ने इस पर एक शब्द बोला, न ही मोहन यादव ने अपने मंत्री के खिलाफ कोई कार्रवाई की हिम्मत दिखाई। यह वही बीजेपी है, जो छोटे-छोटे मुद्दों पर विपक्ष को घेरने के लिए तत्पर रहती है, लेकिन जब बात अपनी ही पार्टी के नेता के सेना-अपमान की आती है, तो सारा “राष्ट्रवाद” हवा हो जाता है। यह दोहरा चरित्र नहीं तो और क्या है?
बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व, जो शाह को तलब करके बंद कमरे में सफाई मांग सकता है, और मोहन यादव, जो एक मुख्यमंत्री के तौर पर अपने मंत्री को बर्खास्त कर सकते हैं, सार्वजनिक रूप से कोई कड़ा कदम क्यों नहीं उठा रहे? क्या यह संदेश नहीं देता कि बीजेपी अपने नेताओं को ऐसे बयानों के लिए परोक्ष संरक्षण दे रही है, और मोहन यादव का कमजोर नेतृत्व इस संरक्षण को और मजबूत कर रहा है?
*मोदी की चुप्पी: कमजोर नेतृत्व का प्रमाण ?*
नरेंद्र मोदी की चुप्पी कोई नई बात नहीं है। चाहे वह मणिपुर हिंसा हो, महिलाओं के खिलाफ अत्याचार हों, या अब सेना के अपमान का यह मामला, मोदी हर संवेदनशील मुद्दे पर मौन धारण कर लेते हैं। लेकिन मोहन यादव की चुप्पी और उनकी बेबसी इस मामले को और गंभीर बनाती है। एक मुख्यमंत्री के तौर पर, उनके पास अपने मंत्रिमंडल को अनुशासित करने की शक्ति है, लेकिन वे इस मामले में पूरी तरह असहाय नजर आ रहे हैं। क्या यह उनकी कमजोरी है या मामले की गंभीरता को समझने की बुद्धि ही नहीं है? क्या वे सोचते हैं कि चुप रहकर वे विवाद से बच जाएंगे? लेकिन इस बार मामला सेना का है, उस सेना का जिसे देश अपनी आन-बान-शान मानता है। इस चुप्पी ने न केवल मोदी की “मजबूत नेता” की छवि को धक्का पहुंचाया है, बल्कि मोहन यादव के लाचार और कमजोर नेतृत्व ने बीजेपी के “राष्ट्रवादी” दावों की भी पोल खोल दी है।
*देश मांग रहा जवाब*
विजय शाह का बयान सिर्फ कर्नल सोफिया का अपमान नहीं, बल्कि भारतीय सेना और देश की हर उस बेटी का अपमान है जो राष्ट्र के लिए समर्पित है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने अपना फर्ज निभाया, लेकिन बीजेपी, नरेंद्र मोदी, और मोहन यादव की चुप्पी देश को निराश कर रही है। यदि बीजेपी को सचमुच सेना का थोड़ा भी सम्मान है, तो विजय शाह को तत्काल बर्खास्त करना होगा। और यदि मोदी और मोहन यादव वाकई “देशभक्त” हैं, तो उन्हें इस मामले पर खुलकर बोलना होगा।
*लेकिन सवाल यह है कि क्या मोदी और मोहन यादव ऐसा करेंगे? या फिर यह मामला भी उनके लिए एक और “चुनावी मुद्दा” बनकर रह जाएगा? देश इंतजार कर रहा है, और यह इंतजार नरेंद्र मोदी और मोहन यादव के नेतृत्व की साख पर एक बड़ा सवाल है।*