
सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी (SGPC) ने लिया बड़ा फैसला पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह का चित्र अमृतसर के सेंट्रल सिख म्यूजियम में लगेगा
अमृतसर, 14 मई 2025: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) ने एक महत्वपूर्ण फैसले में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के चित्र को श्री दरबार साहिब (स्वर्ण मंदिर) परिसर में स्थित सेंट्रल सिख म्यूजियम में स्थापित करने का निर्णय लिया है। यह फैसला SGPC की कार्यकारी समिति की मंगलवार को हुई बैठक में लिया गया।
SGPC अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने बताया कि डॉ. मनमोहन सिंह के साथ-साथ चार अन्य सिख हस्तियों—सिंह साहिब ज्ञानी मोहन सिंह (पूर्व प्रमुख ग्रंथी, सचखंड हरमंदिर साहिब), बाबा इंदरजीत सिंह रकबेवाले, बाबा बिशन सिंह तरना दल (बाबा बकाला), और SGPC सदस्य रणधीर सिंह चीमा—के चित्र भी म्यूजियम में लगाए जाएंगे। यह कदम सिख समुदाय के लिए गर्व का विषय माना जा रहा है, क्योंकि डॉ. मनमोहन सिंह पहले सिख प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने देश की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया। डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान डॉ. मनमोहन सिंह, जो 2004 से 2014 तक भारत के 13वें प्रधानमंत्री रहे, को आर्थिक उदारीकरण और वित्तीय सुधारों के लिए जाना जाता है। उनके नेतृत्व में भारत ने आर्थिक विकास की नई ऊंचाइयां छुईं। सिख समुदाय में उनकी उपलब्धियां विशेष रूप से सम्मानित हैं, क्योंकि उन्होंने वैश्विक मंच पर सिखों का गौरव बढ़ाया। SGPC का यह निर्णय उनकी विरासत को सम्मान देने का एक प्रयास है।
SGPC का निर्णय और प्रतिक्रियाएं SGPC के इस फैसले को सिख समुदाय और विभिन्न राजनीतिक दलों ने सराहा है। पंजाब कांग्रेस के नेता और विधायक बलवीर सिंह ने इसे एक विचारशील कदम बताया, जो सिख समुदाय के लिए गर्व का क्षण है। वहीं, कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने इस कदम को डॉ. सिंह के प्रति सम्मान का प्रतीक बताया, जबकि कुछ ने इस पर चर्चा को आमंत्रित किया।
हालांकि, पहले कुछ संगठनों जैसे दल खालसा ने डॉ. सिंह के चित्र को म्यूजियम में लगाने का विरोध किया था, उनका तर्क था कि डॉ. सिंह ने सिख हितों के लिए पर्याप्त कार्य नहीं किया। फिर भी, SGPC ने व्यापक विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया, जो सिख समुदाय की एकता और सम्मान को दर्शाता है।
आपकी राय क्या है? SGPC का यह फैसला न केवल डॉ. मनमोहन सिंह की विरासत को अमर करता है, बल्कि सिख समुदाय की वैश्विक पहचान को भी मजबूत करता है। क्या आप इस निर्णय को सही मानते हैं? क्या यह सिख समुदाय और भारत के लिए गर्व का विषय है, या इसमें और विचार की आवश्यकता है? अपनी राय साझा करें।