
आधुनिक युग माना कि मानव जीवन के लिए और समाज के लिए विकास का एक मुख्य स्रोत माना गया है परंतु आयुर्वेद स्वस्थ रहने का एक सबसे बड़ा स्रोत है
भारतवर्ष एक ऋषि मुनियों का देश रहा है जिसके चलते हमारे पूर्वज ऋषि मुनियों ने स्वस्थ रहने का स्रोत आयुर्वेद को बनाया जिसके माध्यम से बड़ी से बड़ी और विकेट से विकेट बीमारी का हल निकल आते थे हमारे ऋषि मुनि एक तरह से कहा जाए तो आयुर्वेद का जन्मदाता हमारा भारतवर्ष है हर प्रकार के इलाज बीमारी को भी आयुर्वेद के द्वारा ठीक किया जाता था परंतु आज हम आयुर्वेद को भूल चुके हैं प्रकृति में जितने भी पेड़ पौधे या अन्य होश दिया विद्यमान है सब मानव जीवन उपयोगी है उनमें नीम का वृक्ष एक अलग महत्व रखता है इसके इतने फायदे हैं अगर इसका सही रूप से अध्ययन करके अपने जीवन में प्रयोग किया जाए तो लगभग सभी बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है पुराने जमाने में जब फोड़े फुंसी निकल जाया करते थे तो नीम की छाल को रगड़ कर उन पर लगा लेने से दो या तीन दिन में वह फोड़े फुंसी खत्म हो जाते थे परंतु आज सिर्फ रासायनिक प्रक्रिया से की गई थी यार दवाइयां का प्रयोग किया जाता है वह कुछ समय के लिए ठीक तो कर देते हैं परंतु हो सकता है अन्य बीमारियों का जन्म भी हो जाता है हमारा प्रयास ज्यादा से ज्यादा आयुर्वेद का प्रयोग किया जाए ताकि आपका जीवन स्वस्थ और सुंदर रहे