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शांतिकुंज के तत्वावधान में गृहे-गृहे गायत्री यज्ञ, गृहे-गृहे गायत्री उपासना सम्पन्न ध्यान, योग और यज्ञ से ही देश का कल्याण : आचार्य राजेश तिवारी

वैशाख पूर्णिमा बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर डिवाईन इंडिया सायंस एण्ड स्प्रिचुअल हैप्पीनेस एसोसिएशन-दिशा की ओर से प्राणिक हीलिंग पिरामिड ध्यान केन्द्र, महाराणा प्रताप कॉलोनी स्थित दिशा कार्यालय में ऑफलाईन एवं ऑनलाईन के माध्यम से अखिल विश्व गायत्री परिवार शान्तिकुञ्ज हरिद्वार के तत्वावधान में गृहे गृहे यज्ञ एवं वैशाख ध्यान का आयोजन किया गया। जिसमें प्राणिक हीलिंग, संपूर्णम् ग्रुप्स, गायत्री परिवार, इत्यादि विभिन्न संस्थाओं के लोगों ने भी भाग लिया।
सर्वप्रथम भगवान बुद्ध के साथ-साथ समस्त देवी-देवताओं, गुरुओं एवं पितरों का पूजन और गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, सूर्य मंत्र इत्यादि से हिमालय से प्राप्त वनौषधि युक्त जडी-बुर्टियों ययक्षाग्नि में आहुति प्रदान की गयी। यह कार्यक्रम भारतीय समयानुसार पुरे देश दुनिया में प्रातः नौ बजे से मध्याद्ध बारह बजे तक आयोजित किया गया। यज्ञ सम्पन्न होते ही श्रद्धालुओं ने अपने अपने यहाँ प्रसाद का पान किया। ध्यान प्रशिक्षक मास्टर प्रबोध तिवारी ने ध्यान के महत्व एवं बुद्ध पूर्णिमा के विशेष अवसर पर ध्यान के महत्व को समझाते हुए बतलाया ध्यान, योग और यज्ञ से ही भारत का कल्याण संभव है। इसी से भारत विश्व गुरु बन सकता है। हमें नर से नारायण बनना होगा, मनुज से देवता
बनना होगा। तभी यह गाँव, यह धरती स्वर्ग जैसा बन पाएगा। दिशा के संस्था के संस्थापक सचिव आचार्य राजेश तिवारी ने कहा की जिस प्रकार हर घर में डायनिंग रुम रहता है, पूजा रुम रहता है। उसी प्रकार ध्यान एवं ज्ञान के लिए भी कमरा या स्थान निश्चित होना चाहिए। गृहे गृहे यज्ञ, गृहे गृहे ध्यान, गृहे गृहे देव मंदिर एवं गृहे गृहे ज्ञान मंदिर यानी पुस्तकालय की भी स्थापना होनी चाहिए। लोग पढेंगे तो ध्यान करेंगे, ध्यान करेंगे तो हि सर्वकल्याण संभव हो पाएगा।
बताते चलें की आज का कार्यक्रम विभिन्न संस्थानों द्वारा पूरे विश्व में मनायी जा रही है। स्थानीय स्तर पर भी प्रत्येक घर में गायत्री यज्ञ किया गया। स्थान - स्थान पर ध्यान भी किया गया।
आज के कार्यक्रम को सफल बनाने में सूरज कुमार साह, सत्य प्रकाश, रानी कुमारी, पुष्पाञ्जली प्रज्ञा, अलख कुमार, डॉ. पप्पू कुमार, चंदन कुमार, प्रणव तिवारी, सविता तिवारी इत्यादि लोगों का रहा।

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