
माँ एक जननी की कथा
“माँ” केवल एक शब्द नहीं, बल्कि एहसास और अटूट प्रेम का प्रतीक है। जब हम “माँ” कहते हैं, तो ऐसा लगता है मानो हमारी सभी समस्याएँ जादुई रूप से हल हो जाती हैं। माँ जीवन की शुरुआत से लेकर अंत तक हमारी सबसे बड़ी समर्थक और मार्गदर्शक होती हैं। माँ का महत्व बचपन से लेकर बड़े होने तक बना रहता है। हम चाहे कितने भी बड़े क्यों न हो जाएँ, माँ के लिए हम हमेशा बच्चे ही रहते हैं। माँ हमें बिना कुछ मांगे अथाह प्रेम और स्नेह देती हैं, जो हमारे जीवन को खुशहाल बनाता है।माँ न केवल हमें प्यार करती हैं, बल्कि जीवन के हर उतार-चढ़ाव में आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देती हैं। माँ हमें सबसे अच्छी तरह समझती हैं और हमें सही दिशा में मार्गदर्शन करती हैं। बचपन में जब हम शब्दों और भावनाओं को समझना सीख रहे होते हैं, तो माँ ही हमें सबसे पहले सिखाती हैं। उनकी दी गई शिक्षा जीवनभर हमारे साथ रहती है। इसलिए कहा जाता है कि माँ बच्चे की पहली और सबसे प्रभावशाली शिक्षिका होती हैं। माँ हमें नैतिकता, ईमानदारी, और दयालुता जैसे जीवन के महत्वपूर्ण मूल्य सिखाती हैं।और अधिक क्या लिखू मेरे पास शब्द ही नहीं है माँ के बारे में जितनी तारीफ करु कम है माँ ही मंदिर माँ ही पूजा, माँ ही जन्नत माँ ही दुनिया, माँ का आँचल दुनिया से बड़ा