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इंदिरा गांधी और मोदी में जमीन–आसमान का फर्क.....आज इंदिरा होती तो पाकिस्तान फिर घुटनों पर होता

*इंदिरा गांधी और मोदी में जमीन–आसमान का फर्क.....आज इंदिरा होती तो पाकिस्तान फिर घुटनों पर होता*

मोदी और इंदिरा गांधी में जमीन– आसमान का फर्क है। आज मोदी की जगह इंदिरा गांधी रही होती तो पाकिस्तान के चार टुकड़े करके उसको मुंहतोड़ जवाब देती।

👉 मगर डरपोक मोदी अमेरिका के दबाव में डर गया। पाकिस्तान से बदला लेने के पहले ही अमेरिका के सामने सरेंडर कर दिया।

➡️ 1971 में जब पाकिस्तान के पक्ष में अमेरिका ने अपना सातवां बेड़ा भेजने की धमकी दी तो शेरनी इंदिरा गांधी ने कहा तुम सातवां नहीं 70वां बेड़ा भी भेज दो, मगर पाकिस्तान को खंड-खंड करने से दुनिया के कोई ताकत नहीं रोक सकती। और हुआ वही, जो इंदिरा ने चाहा।

➡️ इंदिरा गांधी आयरन लेडी थीं, वो मोदी की तरह जुमलेबाज और फेकू नहीं थी। वो जो ठान लेती थी, उसे डंके की चोट पर पूरा करती थीं। उनसे सिर्फ पाकिस्तान नहीं बल्कि चीन, अमेरिका और ब्रिटेन भी भयभीत रहता था। भारत की तरफ आंख उठाने से पहले दुश्मन 100 बार सोचता था।

👉 और एक प्रधानमंत्री ये है, जो बातें तो बड़ी-बड़ी करता है मगर न हिम्मत है, न विज़न है, न निर्णय लेने की कोई क्षमता है। इसका रिमोट कंट्रोल अमेरिका के पास है।

👉 इतने ही दिनों में पूरे देश ने देख लिया कि प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और रक्षा मंत्री कितने निकम्मे और डरपोक हैं। ये सरकार कूटनीतिक स्तर पर किस तरह फेल है कि इसके साथ दुनिया का एक भी देश नहीं खड़ा हुआ। IMF ने युद्ध के बीच पाकिस्तान को 11000 करोड़ रुपए का फंड दिया मगर कोई देश इसका विरोध नहीं किया।

👉 इंतजार कीजिए.... कुछ लोग आएंगे कहेंगे कि अच्छा हुआ पापा ने वार रुकवा दिया। मगर ये नहीं बताएंगे कि पापा अपने पापा के चरणों में सरेंडर कर दिया। भारत की इज्जत झंडू पाकिस्तान के हाथों नीलाम करा दिया।

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