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अब कपिलदेव और धोनी भी देश के लिए लड़ेंगे युद्ध I युद्ध के बीच भारत के सेना प्रमुख़ को दिया टेरिटोरियल आर्मी बुलाने का अधिकार I

क्या है टेरिटोरियल आर्मी; जंग के वक्त कैसे करती है थल सेना की मदद?

भारतीय थल सेना के प्रमुख को केंद्र सरकार की तरफ से टेरिटोरियल आर्मी के बुलाने का अधिकार मिल गया है. पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच सरकार ने यह अधिकार दिया है.

भारत और पाकिस्तान में जारी तनाव के बीच आर्मी प्रमुख को यह अधिकार दे दिया है कि वो जरूरत पड़ने पर टेरिटोरियल आर्मी के सभी अधिकारियों और जवानों को बुला सकते हैं. थल सेना प्रमुख को यह अधिकार केंद्र सरकार की तरफ से दिया गया है. यह फैसला पाकिस्तान की तरफ से भारतीय सैन्य ठिकानों और सरहदी शहरों पर ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम करने के कुछ ही घंटे बाद लिया गया.

टेरिटोरियल आर्मी भारत की एक रिजर्व फोर्स है जिसमें आम शहरी होते हैं. जो मुख्य रुप से अपने क्षेत्र के माहिर. खिलाडी या कुछ विशेष विभाग से सम्बंधित होते हैँ I यह आम दिनों दिनों में अपनी सर्विस करते हैं, हालांकि जरूरत पड़ने पर फौज के साथ काम करते हैं. इसकी स्थापना 1949 में सेना की मदद करने के मकसद से हुई थी. इस आर्मी का काम मुख्य फौजियों का बोझ कम करना है और इमरजेंसी स्थिति में उनके साथ खड़े होना है. टI रिटोरियल आर्मी में अधिकारी, जूनियर कमीशंड अधिकारी और अन्य जवान होते हैं जिन्हें मुख्य सेना की तरह रैंक और ट्रेनिंग भी दी जाती है.

भारत में मुख्य रुप से टेरिटोरियल आर्मी के अधिकारी और जवान निम्नलिखित हैँ l जिन्हे अब जरुरत पड़ने पर देश के लिए उनकी सेवाएं ली जाएंगी I

आर्मी और टेरिटोरियल आर्मी में क्या अंतर है?

टेरिटोरियल आर्मी पार्ट-टाइम फोर्स है.

ये आर्मी युद्ध, आपदा, आंतरिक सुरक्षा के समय एक्टिव की जाती है.

इसमें भर्ती होने वाले व्यक्ति आम नागरिक होते हैं, जो अपने प्रोफेशनल करियर या व्यवसाय के साथ-साथ सैनिक के रूप में भी सेवा देते हैं.
टेरिटोरियल आर्मी के बड़े नाम

एमएस धोनी (लेफ्टिनेंट कर्नल, मानद)

अभिनव बिंद्रा (लेफ्टिनेंट कर्नल, मानद)

कपिल देव (लेफ्टिनेंट कर्नल, मानद)

अनुराग ठाकुर (कैप्टन)

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