
मुम्बई - एक खूबसूरत शहर जहाँ सपने होते हैं साकार
मुंबई, भारत की आर्थिक राजधानी है। यह शहर केवल एक भौगोलिक क्षेत्र नहीं बल्कि सपनों की नगरी है। जहाँ सपने जन्म लेते है, आकार लेते है और सच भी होते है। इस शहर ने देश और दुनियाँ को अनेकों नायाब हीरे तराश कर दिए हैं। जिन लोगों ने कभी यहाँ संघर्ष किया पर इस शहर को प्यार करते रहे, उन्होंने यहाँ दिलों पे राज भी किया। ऐसी है हमारी प्यारी मुम्बई।
परन्तु वर्तमान में यह नगरी कई जटिल और गंभीर समस्याओं का सामना कर रही है जो शहर के पर्यावरण, सामाजिक संरचना और बुनियादी ढांचे को प्रभावित कर रही हैं। प्रस्तुत रिपोर्ट में मुंबई की प्रमुख चुनौतियों का सारांश प्रस्तुत किया गया है:
1. वायु प्रदूषण में तीव्र वृद्धि
पिछले पांच वर्षों में मुंबई में वायु प्रदूषण लगभग दोगुना हो गया है। PM2.5 स्तरों में 2023 में 42% की वृद्धि दर्ज की गई, जो मुख्यतः यातायात, निर्माण कार्य, औद्योगिक उत्सर्जन और कचरा जलाने जैसी गतिविधियों के कारण है। बीएमसी ने पाया कि 815 निर्माण स्थलों में से 461 पर प्रदूषण नियंत्रण नियमों का पालन नहीं हो रहा था।
2. अवैध प्रवास और जनसंख्या संरचना में परिवर्तन
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) की रिपोर्ट के अनुसार, अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या मुंबई की सामाजिक-आर्थिक संरचना को प्रभावित कर रही है। अवैध प्रवासियों द्वारा फर्जी वोटर आईडी प्राप्त करने और झुग्गियों में भीड़भाड़ बढ़ने से शहर के बुनियादी ढांचे पर दबाव बढ़ रहा है।
3. बुनियादी ढांचे पर अत्यधिक दबाव
मुंबई में उच्च एफएसआई (फ्लोर स्पेस इंडेक्स) के कारण ऊंची इमारतों का निर्माण बढ़ा है, जिससे खुली जगहों की कमी, कंक्रीटीकरण और नागरिकों की भलाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। हालांकि बीएमसी ने डीसीपीआर-2034 के तहत बुनियादी ढांचे की क्षमता का मूल्यांकन किया है, फिर भी पानी, सीवरेज और तूफानी जल नालियों पर अत्यधिक दबाव बना हुआ है।
4. भीड़भाड़ और परिवहन संकट
मुंबई की उपनगरीय रेलवे प्रणाली दुनिया की सबसे अधिक भीड़भाड़ वाली है। 12-कार या 15-कार की ट्रेनों में 4,500 से अधिक यात्री यात्रा करते हैं, जबकि उनकी क्षमता लगभग 2,000 यात्रियों की है। इस अत्यधिक भीड़ के कारण हर साल लगभग 2,000 लोगों की मौत होती है, जो मुख्यतः ट्रैक पार करने या गिरने के कारण होती हैं।
5. जलवायु परिवर्तन और समुद्र स्तर में वृद्धि
मुंबई क्लाइमेट एक्शन प्लान के अनुसार, शहर में हरित आवरण में 40% की कमी, खुले स्थानों में 81% की कमी और जल निकायों में 30% की कमी आई है। इसका परिणाम है कि दक्षिण मुंबई के हिस्से, जैसे नरिमन पॉइंट और मंत्रालय क्षेत्र, 2050 तक समुद्र स्तर में वृद्धि के कारण जलमग्न हो सकते हैं।
6. झुग्गी क्षेत्रों में स्वच्छता और स्वास्थ्य संकट
धारावी जैसे झुग्गी क्षेत्रों में स्वच्छता की गंभीर समस्याएं हैं। यहां एक शौचालय पर अनेक लोग निर्भर हैं। माहिम क्रीक में खुले में शौच और सीवेज के कारण जल प्रदूषण बढ़ा है, जिससे टाइफाइड, अस्थमा और टीबी जैसी बीमारियों के मामले बढ़े हैं।
7. औद्योगिक प्रदूषण और अस्वास्थ्यकर पुनर्वास
माहुल क्षेत्र, जहाँ कई रिफाइनरी और रासायनिक संयंत्र स्थित हैं, को महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने "गंभीर रूप से प्रदूषित" घोषित किया है। यहां पुनर्वासित निवासियों में साँस, त्वचा और हृदय संबंधी बीमारियों की दर में वृद्धि देखी गई है।
9. आय असमानता और आवास संकट
मुम्बई में आय असमानता गंभीर है। जहां एक ओर शहर में एशिया के सबसे अधिक अरबपति रहते हैं, वहीं दूसरी ओर 25% परिवारों की मासिक आय ₹20000 से कम है। एक बेडरूम वाले अपार्टमेंट का औसत किराया ₹30,000 है, जो अधिकांश निवासियों की पहुंच से बाहर है, जिससे वे अनौपचारिक आवासों पर निर्भर हैं।
इन समस्याओं के समाधान के लिए एक समग्र और समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें पर्यावरणीय संरक्षण, सामाजिक समावेशन, बुनियादी ढांचे का सुदृढ़ीकरण और कानून व्यवस्था की मजबूती शामिल है। हालांकि कई सामाजिक संगठन और खुद सरकार इस क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण निर्णय लेकर उनपर क्रियान्वयन कर रही है। हमें हमारे इस शहर को न केवल सुरक्षित करना होगा बल्कि और भी खूबसूरत बनाना होगा।
रिपोर्ट- पण्डित नागेश चन्द्र शर्मा,
स्थानीय सम्पादक (महाराष्ट्र) - "उगता भारत" राष्ट्रीय समाचार पत्र
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