
आतंकियों के घरों में जाती थीं महबूबा मुफ्ती
“आतंकियों के घरों में जाती थीं महबूबा मुफ्ती”
पहलगाम आतंकी हमले के पीछे स्थानीय लोगों के सपोर्ट वाली बात की पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने आलोचना की थी। इसे लेकर जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने कहा, '34 साल हो गए। इसकी शुरुआत किसने की। वे कौन लोग थे जो बाहर गए और वापस आए। वे कौन थे जिन्होंने हमारे पंडित भाइयों को यहां से निकाला। इसका जवाब दीजिए। मैं जिन जगहों पर नहीं जा सकता था, वहां ये (महबूबा मुफ्ती) जाती थीं... उन आतंकियों के घरों में।'
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि महबूबा मुफ्ती की हर बात का मैं जवाब दूं तो अच्छा नहीं लगेगा। मैं महबूबा मुफ्ती से कहूंगा कि ऐसी बातें ना करें। हम कभी आतंकवाद के साथ नहीं रहे और ना ही रहेंगे। ना हम कभी पाकिस्तानी थे, ना हैं और ना होंगे। हम भारत का अटूट अंग हैं और हम भारत का मुकुट हैं।
फारूक अब्दुल्ला ने पहलगाम आतंकी हमले पर कहा, 'वे पर्यटक जो यहां पर शहीद हो गए मैं उनके परिवारों से कहूंगा, उस नई दुल्हन से कहूंगा जिसकी कुछ दिन पहले शादी हुई थी... हम भी उतना रोए हैं जितना आप रोए हैं। हमें भी नींद नहीं आई सोचकर कि ऐसे दरिंदे आज भी मौजूद हैं जो इंसानियत का कत्ल करते हैं। मैं सभी पीड़ित परिवारों से कहना चाहूंगा कि इस दुख की घड़ी में हर कोई आपके साथ है, न केवल जम्मू-कश्मीर, न केवल भारत बल्कि वह सभी देश जिसने आतंकवाद देखा है, ये कुर्बानियां व्यर्थ नहीं होंगी। इनका बदला लिया जाएगा। हमलावर समझते हैं कि पहलगाम हमले से वे जीत जाएंगे लेकिन वे कभी नहीं जीते।'पहलगाम हमले को लेकर उन्होंने कहा कि मेरा दिन बहुत गमगीन था। मगर, मुझे बच्चों से हिम्मत मिली जब उन्होंने कहा कि हम डरने वाले नहीं हैं।
महबूबा मुफ्ती ने फारूक अब्दुल्ला के उस बयान की निंदा की थी, जिसमें उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुई घटना जैसे हमले बिना समर्थन के नहीं हो सकते। एनसी प्रमुख ने कहा था, ‘मुझे नहीं लगता कि ये चीजें तब तक हो सकती हैं जब तक कोई उनकी मदद न करे। वे (आतंकी) वहां (पाकिस्तान) से आए हैं। वे कैसे आए?’ पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि अब्दुल्ला की टिप्पणी न केवल भ्रामक है, बल्कि घातक भी है। खासकर ऐसे समय में जब पहलगाम की घटना के बाद जम्मू-कश्मीर के छात्र और व्यापारी अत्यधिक असुरक्षित हैं और उन पर हमले का खतरा है। महबूबा ने एक्स पर पोस्ट में कहा, ‘पहलगाम आतंकी हमले में कश्मीरियों की संलिप्ता वाला फारूक साहब का बयान बेहद परेशान करने वाला और खेदजनक है। एक कश्मीरी और वरिष्ठ नेता के रूप में उनके बयान से विभाजनकारी विमर्श को बढ़ावा मिलने का खतरा है, जिससे कुछ मीडिया चैनलों को कश्मीरियों तथा मुसलमानों को और अधिक बदनाम करने का मौका मिल रहा है।’