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" बैंक अमीरों के हैं, गरीबों के बैंक नहीं है"

हमारे देश के सरकारी एवं प्राइवेट बैंक अमीरों के गुलाम हैं , क्योंकि लाखों - हजारों लाख करोड़ों रुपए अमीरों के क़र्ज़ को राइट ऑफ या क़र्ज़ को माफ कर देते हैं यह पब्लिक डोमेन में है, किन्तु गरीबों, निम्न एवं मध्यम वर्गीय समाज के लोगों ने यदि 10000 रुपए भी कर्ज लिया है और चुकाने में अस्मर्थ है तो उस पर कानूनी कार्रवाई बैंक करवाते हैं और उससे जमा करवाते हैं, परन्तु अमीरों के लाखों हजारों करोड़ों रुपए को माफ कर देते हैं बैंक, इसलिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय को इसमें संज्ञान लेकर बैंकों पर कार्रवाई करना चाहिए, वरना देश में निश्चित ही आर्थिक तंगी आना निश्चित है। यह मेरे विचार नहीं है यह न्यूज देखें https://www.facebook.com/share/v/16EdPfv9wA/

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