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पीएम साहब! दवाओं की कालाबाजारी बर्बादी, लापरवाही चोरी तथा अवैध वसूली रोकी जाए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहे अनुसार सरकार कोविड-19 के टीकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए पूरी तौर पर प्रतिबद्ध है। बीते दिवस बुधवार को प्रदेश के राज्यपालों व केंद्र शाषित राज्यों के उपराज्यपालों के साथ पीएम द्वारा कही गई बात अपने आप में अटल सत्य कही जा सकती है।

मगर पीएम साहब जिस प्रकार से देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है और इससे मरने वालों के अंतिम संस्कार की भी पूर्ण व्यवस्थाएं नहीं हो पा रही है। और दुखी परिवारों को सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों द्वारा शासन द्वारा निर्धारित सुविधाएं उपलब्ध ना कराए जाने से पीड़ित काफी परेशान और दुखी नजर आ रहे हैं।

एक तरफ कोरोना टीकों की पूर्ण उपलब्धता सभी जगह ना होने की खबरें पढ़ने को मिल रही है तो दूसरी तरफ 88 दिन में 58 लाख टीके की खुराकें बर्बाद होने की खबर है। जिससे इस काम में लगाकर सदुपयोग किए जाने वाले 88 करोड़ का नुकसान होना बताया जा रहा है। और यह तथ्य एक खबर के अनुसार राज्यों की टीकाकरण रिपोर्ट की समीक्षा से खुलकर सामने आया है। दूसरी तरफ राजस्थान में जयपुर के शास्त्रीनगर स्थित कावटिया अस्पताल में रखी 320 कोरोना की डोज चोरी हो गई।

छत्तीसगढ़ में दवाओं की कालाबाजारी तेज होने के साथ ही रेमडिसिवर जिसकी कीमत 3500 रूपये होनी चाहिए वो 12 से 15 हजार में बेची जा रही है। सबसे प्रभावित शहर रायपुर आदि में मेडिकल स्टोंरों के संचालकों द्वारा इसे कमाई का जरिया बना लिया गया है। महाराष्ट्र सहित देशभर से ऐसी खबरें मिल रही हैं कि अस्पतालों में इलाज कराने वाले मरीजों से सरकार द्वारा निर्धारित कीमत से कई गुना फालतू आठ लाख रूपये तक एक मरीज से वसूले जा रहे हैं जबकि यह तय बताया जा रहा है कि ज्यादा से ज्यादा तीन लाख रूपये लिए जा सकते हैं।

दूसरी तरफ कोरोना पीड़ितों की मौत हो जाने पर अस्पताल से संबंध लोगों की मानवीय दृष्टिकोण को एक तरफ रख दिए जाने के चलते 500-1000 रूपये दक्षिणा के नाम पर जो अंतिम संस्कार कराने वाले ले सकते हैं उसकी जगह 12 से 15000 रूपये लेकर अंतिम संस्कार किया जा रहा है। कई जगह लकड़ी और उपले महंगी कीमत पर बेचे जाने की खबर सुनाई दे रही है। विद्युत शवदाह गृह में भी बताते हैं कि घुमा फिराकर मृतक के परिवार से ज्यादा पैसा मांगा जा रहा है।

पीएम साहब स्थिति लापरवाही की यह है कि उत्तर प्रदेश में मरीजों के लिए जरूरी समझा जाने वाला रेमडिसिवर इंजेक्शन जिस पर प्रतिबंध लगााने की बात भी सुनाई दी थी कि आवश्यकता पड़ने पर विशेष तौर पर अफसरों ने गुजरात से स्टेट प्लेन भेजकर मंगवाया जबकि यह टीका वहां के मुख्य स्वास्थ्य सचिव से वार्ता कर आने वाले हवाई जहाज से भी मंगाया जा सकता था लेकिन ऐसा ना कर अधिकारियों ने इस काम में मोटी रकम खर्च की। ऐसी चर्चा सुनाई दे रही है।

प्रधानमंत्री जी किसी भी संक्रमित की जान बचाने के लिए कुछ भी किया जाना गलत नहीं है। लेकिन इस महामारी के चलते जिस प्रकार से आम आदमी मानसिक आार्थिक और सामाजिक रूप से पीड़ित है उसके चलते कोरोना डोज की चोरी या करोड़ो रूपये के टीके की खुराक खराब हो जाना अथवा उसकी कालाबाजारी या मरीजों से इलाज के नाम पर निजी अस्पतालों में मोटी रकमें वसूलना अथवा सरकारी अस्पतालों में सही देखभाल ना होना चिंता का विषय है। मेरा मानना है कि इस समय यह दवाई अमृत तुल्य है और एक एक पैसा बहूमूल्य कहा जा सकता है।

इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए दवाईयों की कालाबाजारी और पीड़ितों से अवैध वसूली करने वालों को बिना किसी लाग लपेट के समयानुसार सख्त सजा देनी चाहिए जिससे गरीब आदमी सरकार की सुविधाओं का लाभ उठाकर जल्दी स्वस्थ हो सके। तथा अस्पतालों की संख्या बढ़ाई जाए और अंत्येष्टि सरलता से हो ऐसे इंतजाम किए जाएं जनहित में।

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