logo

पहलगाम आतंकी हमला 2025: पाकिस्तान की आतंकी साजिश बेनकाब

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में 26 लोग, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे, मारे गए और 20 से अधिक घायल हो गए। यह 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत में सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक था। हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली, जो पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक हिस्सा माना जाता है। इस हमले ने एक बार फिर पाकिस्तान की आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली नीतियों और कश्मीर में अस्थिरता फैलाने की उसकी साजिशों को उजागर किया है।

हमले का विवरण और उसका प्रभाव

पहलगाम, जिसे 'मिनी स्विट्जरलैंड' के नाम से जाना जाता है, अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। बैसरन घाटी में पांच से छह आतंकवादियों ने, जो सैन्य वर्दी में थे, पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की। हमलावरों ने विशेष रूप से हिंदू पुरुष पर्यटकों को निशाना बनाया, जिससे यह हमला धार्मिक और राजनीतिक रूप से प्रेरित प्रतीत होता है। टीआरएफ ने दावा किया कि यह हमला कश्मीर में 'जनसांख्यिकीय परिवर्तन' के खिलाफ था, जो 2019 में जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को समाप्त करने के बाद शुरू हुआ। इस हमले ने न केवल निर्दोष लोगों की जान ली, बल्कि कश्मीर के पर्यटन उद्योग और क्षेत्र में शांति की बहाली के प्रयासों को भी गहरा आघात पहुंचाया।

पाकिस्तान की भूमिका

इस हमले में पाकिस्तान की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने हमले के मास्टरमाइंड के रूप में लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर सैफुल्लाह कसूरी (उर्फ खालिद) की पहचान की है, जो पाकिस्तान से संचालित होता है। इसके अलावा, हमले में शामिल तीन संदिग्धों - हाशिम मूसा, अली भाई, और अब्दुल हुसैन थोकर - में से दो पाकिस्तानी नागरिक हैं। खुफिया सूत्रों ने हमलावरों के डिजिटल निशान को पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद और कराची में सुरक्षित ठिकानों तक ट्रेस किया है।

पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर का हालिया बयान, जिसमें उन्होंने कश्मीर को 'पाकिस्तान की रग' बताया और हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ टिप्पणी की, इस हमले से ठीक पहले आया था। यह बयान आतंकी समूहों के लिए एक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। इसके अलावा, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई पर लश्कर-ए-तैयबा को रसद और सामरिक समर्थन प्रदान करने का आरोप लंबे समय से लगता रहा है। यह हमला पाकिस्तान की उस नीति का हिस्सा प्रतीत होता है, जो कश्मीर में अस्थिरता पैदा करने और भारत के खिलाफ प्रॉक्सी युद्ध छेड़ने की है।

भारत की प्रतिक्रिया और भविष्य की दिशा

हमले के बाद भारत सरकार ने कड़े कदम उठाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने पांच बड़े फैसले लिए, जिनमें 1960 के सिंधु जल समझौते को निलंबित करना, अटारी-वाघा सीमा को बंद करना, और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना शामिल है। इसके अलावा, पाकिस्तान उच्चायोग के सैन्य सलाहकारों को निष्कासित किया गया और दोनों देशों में दूतावास कर्मचारियों की संख्या को 55 से घटाकर 30 करने का निर्णय लिया गया।

यह हमला भारत के लिए एक चेतावनी है कि आतंकवाद के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' की नीति को और सख्त करने की जरूरत है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जांच शुरू कर दी है, और सेना, अर्धसैनिक बलों, और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आतंकियों को पकड़ने के लिए व्यापक तलाशी अभियान शुरू किया है। भारत को न केवल आतंकियों को खत्म करने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक जैसे कदमों पर विचार करना चाहिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को बेनकाब करने की रणनीति को भी तेज करना चाहिए।

निष्कर्ष

पहलगाम आतंकी हमला एक बार फिर यह साबित करता है कि पाकिस्तान की आतंकवाद को पनाह देने की नीति क्षेत्रीय शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा है। यह समय है कि विश्व समुदाय पाकिस्तान के दोहरे चरित्र को पहचाने और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर कार्रवाई करे। भारत को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत करते हुए कश्मीर में शांति और विकास के लिए अपने प्रयासों को दोगुना करना होगा। पहलगाम के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी, जब हम आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक जीत हासिल करेंगे और कश्मीर को फिर से शांति का स्वर्ग बनाएंगे।

15
141 views