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एक बहुत ही पुरानी समस्या है जो कि क्षुद्र राजनीति और अज्ञानता पर टिकी हुई है। महाराष्ट्र में मुम्बई वालों को लगता है कि बाहरी लोग मुम्बई आकर इसके संसाधनों का दोहन स्वयं के लाभ के लिए कर रहे हैं।

जब कि यह बिल्कुल ग़लत धारणा है। मुंबई पूरा महाराष्ट्र नहीं है। महाराष्ट्र के बार्डर के नजदीक जितने जिले हैं।वह मुम्बई दूर होने के कारण अपने अपने सीमाओं से सटे हुए अन्य प्रदेशों की मार्केट में ही बिजनेस करते हैं। महाराष्ट्र के कम से कम दस जिलों के लोग दिन रात बिजनेस मध्यप्रदेश के जिलों में करते हैं क्यों कि मुम्बई दूर पड़ती है।इसी तरह अन्य प्रदेशों में भी ऐसा ही होता है फिर चाहे कर्नाटक हो, गुजरात हो गोवा हो या अन्य और। सबसे ज्यादा उत्तर भारत के लोगों पर दोष मढ़ते हैं। कोई भी बड़ा शहर हो दिल्ली, कलकत्ता मद्रास या अन्य बड़े शहर वहां आमतौर पर लोग रोजी-रोटी की तलाश में जाते हैं कोई मुम्बई में ही नहीं।जब करोड़ों में आबादी होती है तो हजारों लाखों लोग तो अन्य अन्य प्रदेशों में जाते ही रहते हैं। लेकिन राज ठाकरे और उद्धव की शिव सेना इस सच्चाई को हमेशा इन्कार किया करते हैं। दुःख की बात यह है कि हजारों की संख्या में इनके गुंडागर्दी के वीडियो यू ट्यूब पर मौजूद होने के बाद भी न कोई न्यायालय स्वयं संज्ञान लेकर न्याय दिलाने की कोशिश करता हुआ दिखाई देता है,न ही कोई बड़ा राजनेता। इस स्तर का घटिया स्वार्थ हमारी राजनीतिक व्यवस्था पर दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। और रुकने का नाम नहीं ले रहा है। ये लोग छोटे व्यापारियों और नौकरी पेशा लोगों पर दिन प्रतिदिन अत्याचार बढ़ाते ही जा रहे हैं।अभी हाल में अनेक ऐसी घटनाएं घटित हुई किसी सिक्योरिटी गार्ड को पीट दिया, किसी बैंक कर्मी को पीट दिया,डी मार्ट के कर्मचारी को पीट दिया, हद तो तब हो गई जब एक महिला और उसके पति जिसकी गोंद में छोटा सा बच्चा भी था उसको पीट दिया ग़लती सिर्फ इतनी कि उसने इसक्यूज मी बोल दिया ये कहते हैं कि केवल मराठी में ही बात करो। एक ऐसा नेता जिसको दो परसेंट वोट भी नहीं मिलता खुलेआम संविधान की धज्जियां उड़ाता है उस पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं होती हाइकोर्ट स्वयं संज्ञान ले सकता है और बहुत सारे विधिक संस्थान हैं लेकिन इस अन्यायपूर्ण व्यवहार के लिए किसी के दिल में कोई पीड़ा नहीं पहुंचती क्यों। ऐसे ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब अन्य प्रदेशों के लोग भी पर प्रांतीय लोगों के साथ वही दुर्व्यवहार करने के लिए विवश हो जाएंगे जो उन्हें मुम्बई या अन्य प्रदेशों में मिलता है।इस तरह अवैधानिक कार्यों पर सरकार न्यायालय को स्वयं संज्ञान लेते हुए रोकने पर तुरंत कदम उठाना चाहिए।

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