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"पृथ्वी दिवस 2025" की 55वीं वर्षगांठ पर विशेष आलेख..... पृथ्वी पर वैश्विक वार्षिक वृक्ष आवरण का घटना चिंतजानक.... हमारी शक्ति, हमारी "पृथ्वी" है, जिसका भविष्य हमारे ही हाथ में है..... कैलाश सामोता

"पृथ्वी दिवस 2025" की 55वीं वर्षगांठ पर विशेष आलेख.....

पृथ्वी पर वैश्विक वार्षिक वृक्ष आवरण का घटना चिंतजानक....

हमारी शक्ति, हमारी "पृथ्वी" है, जिसका भविष्य हमारे ही हाथ में है..... कैलाश सामोता

राजसमंद /जयपुर /उदयपुर 22 अप्रैल, 2025 पृथ्वी ग्रह का इतिहास लगभग 4.54 अरब साल पहले शुरू हुआ था, जब पृथ्वी सौरमंडल के अन्य ग्रहों के साथ बनी थी ! पृथ्वी पर लगभग 4 अरब साल पहले जीवन की उत्पत्ति हुई तथा मानव की उत्पत्ति लगभग 2 लाख वर्ष पहले हुई ! उदविकास के क्रम में वर्तमान समय मानव के लिए स्वर्णिम युग है, जिसका सभी संसाधनों पर अधिपत्य है ! पृथ्वी का अंत करीब एक अरब वर्ष बाद होना बताया जा रहा है, जिसका मुख्य कारण मानवजनित विपत्ति जलवायु परिवर्तन है, जो मुख्य रूप से ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के कारण होता है! जलवायु परिवर्तन से वैश्विक तापमान बढ़ रहा है जिससे सूखा, बाढ़, जंगल की आग और अन्य प्राकृतिक आपदाएं बढ़ रही है ! पृथ्वी ब्रह्मांड में एकमात्र ज्ञात जीवन वाला ग्रह है, जहां विभिन्न प्रकार के जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियां पाई जाती है ! पृथ्वी हमारे सूर्य के चारों ओर रहने योग्य क्षेत्र में है, इसमें पर्याप्त पानी है और इसमें हानिकारक सौर विकिरणों से हमें बचाने के लिए एक अनुकूल वातावरण है ! इस प्रकार पृथ्वी एक संपन्न जीवमंडल वाला ग्रह है ! एक नई क्लाइमेट रिपोर्ट में डरावना दावा किया गया है कि पृथ्वी एक खतरनाक फेज में प्रवेश कर रही है, जिसमें जल्द ही अप्रत्याशित व नए संकट का सामना करना पड़ सकता है ! औद्योगिक क्रांति के बाद से मानव गतिविधियों का मौजूदा जलवायु परिवर्तन की गति और सीमा पर प्रभाव बढ़ रहा है ! खासकर वनों की कटाई तथा जीवाश्म ईंधन जैसे तेल, कोयला और गैसों के जलने के कारण, उसमें गर्मी बढाने वाली गैसों का उत्सर्जन होता है और तापमान बढ़ने लगता है ! एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2045 तक वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस के करीब बढ़ जाएगा ! अगले 20 - 30 वर्षों में ध्रुवीय बर्फ के तेजी से पिघलने से महासागरों की धाराएं प्रभावित होगी ! अटलांटिक मेरियननल ओवरटर्निंग सरकुलेशन बंद होने के कगार पर है, जिससे दुनिया के मौसम चक्कर में भारी उत्तर-पुथल मच रही है ! समुद्र का जलस्तर कई मीटर तक बढ़ रहा है, जिससे तटीय शहरों के डूबने का खतरा बढ़ता जा रहा है ! जमीन पर तापमान वैश्विक औसत से लगभग दोगुना तेजी से बड़ा है, परिणामस्वरूप हमारी धरती धीरे-धीरे गर्म हो रही है जिसके कारण मौसम का मिजाज बिगड़ने लगा है ! हम हमारे प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन कर रहे हैं तथा पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से जंगल मैदानों में तब्दील हो रहे हैं ! हमारे पवित्र प्राकृतिक जल स्रोतों नदियों, तालाबों, बांधो, बावड़ियों, कुओं, आदि के प्रवाह एवं जलभराव क्षेत्र में हमने घर व औद्योगिक इकाइयां संचालित कर दी है ! हमने ही हमारी हवा को जहरीला बना दिया है तथा मृदा को विषाक्त कर दिया है ! हमारी झीले सूख रही हैं, हर एक नदी प्रदूषित हो चुकी है ! नदियों का प्रवाह बाधित कर दिया गया है और रेत खनन के कारण नदियों का मार्ग बदलने लगा है ! ऋतुऐ अपना अस्तित्व होती जा रही हैं ! ग्रीन हाउस गैसों की परत मोटी हो रही है जिससे पृथ्वी का ताप लगातार बढ़ता ही जा रहा है तथा मौसम की प्रतिकूलताये लगातार बढ़ती जा रही है जिससे पृथ्वी की संपूर्ण जैव विविधता पर संकट मंडरा रहा है !

वैश्विक जलवायु संकट से निजात पाने हेतु अक्षय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग जरूरी.....

ग्लोबल वार्मिंग के चलते धरती तप रही है, ग्लेशियर पिघल रहे हैं, समुद्र के जल स्तर में विस्तार हो रहा है, दुनिया के कई शहर डूबने की कगार पर है, वायुमंडल के तापमान में यह बढ़ोतरी आने वाले दिनों में जल संकट, खाद्यान्न संकट, सूखा, बाढ़, आदि प्राकृतिक आपदाओं में बढ़ोतरी करेगी, जिससे इंसान व अन्य जीव जंतुओं का जीवन मुश्किल हो जाएगा ! अतः हमें पृथ्वी दिवस 2025 के अवसर पर अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने और अधिकाधिक वृक्षारोपण से कार्बन डाइऑक्साइड का ऑक्साइड गैस की मात्रा को कम करना होगा ! पेट्रोल डीजल चालित वाहन की जगह गैर मोटर चालित वाहन, साइकिल, ई रिक्शा, आदि का प्रचलन बढ़ता होगा ! वैश्विक पर्यावरण परिस्थितियों में गंभीर वृदि को रोकने के लिए अथवा जलवायु संकट को रोकने के लिए हमें टिकाऊ ऊर्जा और संरक्षण प्रथाओं को लागू करने के लिए तत्काल अंतर्राष्ट्रीय करवाई पर जोर देना होगा! जीवाश्म इंधनों के स्थान पर कम कार्बन वाले नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करते हुए, ऊर्जा दक्षता और संरक्षण को बढ़ावा देना होगा ! समृद्ध जैव विविधता वाले पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा और पुनर्स्थापना करनी होगी, जो कार्बन चक्रण और भंडारण में सहायक होते हैं ! टिकाऊ पारिस्थितिक अर्थशास्त्र को बढ़ावा देना होगा ! जागरूकता, साक्षरता और कार्रवाई को बढ़ावा देने के लिए जलवायु परिवर्तन शिक्षा को वैश्विक पाठ्यक्रम में एकीकृत रूप से शामिल करना होगा ! कोयला से चलने वाली वाले बिजली संयंत्र को धीरे-धीरे बंद करना होगा और पवन, सौर और अन्य प्रकार के नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग बढ़ाना होगा ! इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक वाहनों पर स्विच करना होगा और ऊर्जा संरक्षण के उपाय ढूंढ़ने होंगे ! प्राकृतिक संसाधनों का किए जा रहे अतिदोहन को रोकना होगा ! पृथ्वी दिवस 2025 की थीम "हमारी शक्ति, हमारी हमारा ग्रह" पृथ्वी का उद्देश्य तभी हासिल होगा जब हम हमारे अक्षय ऊर्जा स्रोतों पर स्विच करेंगे तथा एक टिकाऊ भविष्य बनाने के लिए लोगों, संगठनों और सरकारों की साझा जिम्मेदारी निभाएंगे ! इस प्रकार पृथ्वी की सेहत का समुचित ख्याल रखना हम सब का नैतिक दायित्व है !

वैश्विक स्तर पर पृथ्वी का वार्षिक वृक्ष आवरण घटना, चिंतजानक......

प्रकृति एवं प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण के लिए संघर्षरत पर्यावरणविद् शिक्षक कैलाश सामोता रानीपुरा जयपुर का मानना है कि हमारी शक्ति, हमारी पृथ्वी है, जिसका भविष्य हमारे ही हाथों में है ! आज पृथ्वी की अस्तित्व को जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों से सबसे बड़ा खतरा बन गया है ! वर्तमान में प्राकृतिक महासागरीय अम्लता और ऊष्मा की मात्रा चरम सीमा पर है ! पृथ्वी की सतह का औसत तापमान अब तक के उच्चतम स्तर पर है ! इस त्रासदी से हमारे ग्रह पर जीवन के बहुत बड़े हिस्से को खतरा उत्पन्न हो चुका है ! अनियंत्रित और विस्फोटक रूप से बढ़ती जनसंख्या और उसके अमानवीय व्यवहार के चलते धरा पर वैश्विक स्तर पर वार्षिक वृक्ष आवरण की हानि लगातार बढ़ती जा रही है ! जिससे वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड, मेथेन तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड की सांद्रता अब तक की उच्चतम स्तर पर आ गया है जो बेहद ही चिंताजनक है ! इतिहास में मनुष्य ने हमेशा ही धरती को नुकसान पहुंचाया है, लेकिन बीते 5 दशकों ने इसे भयावह घाव दिए हैं जो संपूर्ण पृथ्वी के लिए आपात स्थिति है ! अब बढ़ते तापमान, आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण पर ठोस पहल कदमी की जरूरत है ! हमें व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक स्वच्छता, अपशिष्ट प्रबंधन, वृक्षारोपण, प्राकृतिक खेती एवं स्वस्थ जीवन की पद्धति को अपनाना होगा ! हमें जलवायु परिवर्तन पर लगाम लगाने के लिए शिद्दत से कोशिश करनी होगी अन्यथा हमारी अगली पीढ़ी के लिए यह दुनिया नहीं बचेगी ! अगर हम अपनी दिनचर्या में पैदल चलने, साइकिल चलाने एवं अक्षय ऊर्जा स्रोतों को प्रचलन में लाने की कोशिश करें तो कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरोकार्बन, आदि के उत्सर्जन पर लगाम लगा सकते हैं ! लेकिन इसके लिए लालच एवं स्वार्थ को त्यागना होगा ! अगर हम विकास एवं प्रकृति के बीच संतुलन बनाकर चलेंगे तो निश्चित ही जलवायु परिवर्तन की मौजूदा रफ्तार में कमी आएगी ! हमें अपने जीवन शैली में बदलाव के साथ-साथ हिमालय क्षेत्र में मानवीय दखलंदाजी पर अंकुश लगाना होगा तथा जलवायु परिवर्तन के दानव और कार्बन उत्सर्जन पर लगाम लगानी होगी ! तभी हमारी पृथ्वी की सेहत में सुधार और बदलाव की उम्मीद की जा सकती है !

स्वतंत्र विचारक एवं लेखक
कैलाश सामोता रानीपुरा
पर्यावरणविद् शिक्षक, शाहपुरा, जयपुर

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