
आखिर इस दर्द की दवा क्या है?
बढ़ती उम्र के साथ व्यक्ति के अकेलेपन और तिरस्कार के शिकार होने के कई कारण हो सकते हैं। यह एक जटिल समस्या है जिसके सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और शारीरिक पहलू हैं। कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं:
सामाजिक कारण:
* सामाजिक दायरा सिकुड़ना: उम्र बढ़ने के साथ, कई कारणों से लोगों का सामाजिक दायरा सिकुड़ने लगता है। दोस्तों और जीवनसाथी की मृत्यु, बच्चों का दूर चले जाना, और शारीरिक अक्षमता के कारण सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने में कठिनाई हो सकती है।
* सेवानिवृत्ति: काम से रिटायर होने के बाद, व्यक्ति अपने दैनिक सामाजिक संपर्क खो देता है, जो कभी उसके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।
* संचार में कमी: सुनने और देखने की क्षमता में कमी के कारण दूसरों के साथ प्रभावी ढंग से संवाद करना मुश्किल हो सकता है, जिससे अलगाव महसूस हो सकता है।
* परिवहन की समस्या: जो लोग अब गाड़ी नहीं चला सकते हैं, उनके लिए बाहर निकलना और सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेना मुश्किल हो जाता है।
* पीढ़ी का अंतर: युवा पीढ़ी की जीवनशैली और मूल्यों में बदलाव के कारण बुजुर्ग लोग अलग-थलग महसूस कर सकते हैं। उन्हें लग सकता है कि उनकी राय और अनुभव अब मायने नहीं रखते।
मनोवैज्ञानिक कारण:
* अकेलापन की भावना: सामाजिक अलगाव के कारण अकेलापन और खालीपन महसूस हो सकता है।
* आत्मसम्मान में कमी: शारीरिक और मानसिक क्षमताओं में गिरावट, और समाज में अपनी भूमिका बदलने के कारण आत्मसम्मान कम हो सकता है।
* अवसाद और चिंता: अकेलापन और तिरस्कार अवसाद और चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है।
* निराशा और नकारात्मक सोच: जीवन के अनुभवों और भविष्य की अनिश्चितता के कारण निराशा और नकारात्मक विचार आ सकते हैं।
* अभिमान: कुछ बुजुर्ग अपनी समस्याओं को दूसरों के सामने स्वीकार करने या मदद मांगने में संकोच करते हैं, जिससे उनका अकेलापन और बढ़ जाता है।
शारीरिक कारण:
* शारीरिक अक्षमता: बीमारियों और शारीरिक कमजोरियों के कारण दैनिक गतिविधियों को करने और दूसरों से मिलने-जुलने में कठिनाई हो सकती है।
* स्वास्थ्य समस्याएं: पुरानी बीमारियाँ दर्द, थकान और अन्य लक्षणों का कारण बन सकती हैं, जिससे सामाजिक संपर्क बनाए रखना मुश्किल हो जाता है।
* इंद्रिय हानि: देखने और सुनने की क्षमता में कमी सामाजिक बातचीत को चुनौतीपूर्ण बना सकती है।
तिरस्कार के कारण:
* उम्रवाद (Ageism): समाज में बुजुर्गों के प्रति नकारात्मक रूढ़िवादिता और भेदभाव मौजूद है। उन्हें कमजोर, अक्षम या बोझ के रूप में देखा जा सकता है।
* परिवार की व्यस्तता: आधुनिक जीवनशैली में परिवार के सदस्य अपनी-अपनी जिम्मेदारियों में व्यस्त रहते हैं, जिसके कारण बुजुर्गों को पर्याप्त समय और ध्यान नहीं मिल पाता।
* आर्थिक दबाव: कुछ परिवारों में बुजुर्गों की देखभाल करना आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जिससे उन्हें उपेक्षित महसूस हो सकता है।
* धैर्य की कमी: बुजुर्गों की धीमी गति या बार-बार की जरूरतों को पूरा करने में कुछ लोगों में धैर्य की कमी हो सकती है।
* सामाजिक मूल्यों में परिवर्तन: पारंपरिक संयुक्त परिवार प्रणाली का टूटना और व्यक्तिगतता पर अधिक जोर देने के कारण बुजुर्गों की भूमिका और महत्व में कमी आई है।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि हर बुजुर्ग व्यक्ति अकेलेपन और तिरस्कार का शिकार नहीं होता है। कई बुजुर्ग सक्रिय और सामाजिक जीवन जीते हैं। हालांकि, बढ़ती उम्र के साथ इन जोखिम कारकों की संभावना बढ़ जाती है, और समाज के रूप में हमें यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है कि हमारे वरिष्ठ नागरिक सम्मान, देखभाल और जुड़ाव महसूस करें।