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विश्व धरोवर दिवस पर,कोटडा पार के लक्षण टेकरी धार्मिक स्थल पर लक्ष्मण झूले की हुई चर्चा।

छबड़ा,शुक्रवार को अलख निरंजन ज्योति ध्यान योग केंद्र पर विश्व धरोवर दिवस मनाया।इस अवसर पर कस्बे से लगभग 22 किलोमीटर दूर कोटरा पार ग्राम पंचायत में स्थित लक्ष्मण टेकरी धार्मिक स्थान के दर्शन करने का शोभाग्य प्राप्त हुआ 18 अप्रैल, 2025 को पूरे विश्व में विश्व धरोहर दिवस मनाया गया।यह दिन हमारी अमूल्य सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के महत्व को समझने और उनके संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर था।विश्व धरोहर दिवस पर हर साल 18 अप्रैल को यूनेस्को द्वारा यह दिवस मनाया जाता रहा है। इसका उद्देश्य विश्व के विभिन्न कोनों में स्थित उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्यों वाली विरासतों की पहचान करना,उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना और उनके प्रति लोगों को जागरूक करना है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि ये धरोहरें न केवल हमारे अतीत की गवाह हैं,बल्कि वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत हैं।राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा रेखा को अलग करने वाली पार्वती नदी पर लक्ष्मण टेकरी धार्मिक स्थल स्थित है।अनेक धार्मिक स्थलों के चरण पखार दोनो प्रदेशों को जल राशि प्रदान कर हरा-भरा कर दोनों प्रदेशों को अलग भी करती है।पार्वती नदी के पूर्वी छोर पर मध्यप्रदेश और पश्चमी छोर पर राजस्थान प्रदेश की सीमाएं स्थित है।दोनों प्रदेशों में भाजपा की वर्तमान में सरकारे है।वर्ल्ड हेरिटेज डे पर इस स्थान पर एक पुरानी याद इस अवसर पर ताजा हो गयी,आपके संज्ञान में लाते है,राजस्थान में 1977 में जनसंघ के बाद से जनता पार्टी बनी थी और राज्य में जनता पार्टी की सरकार में माननीय भैरो सिंह जी प्रथम बार,राजस्थान के मुख्य मंत्री बनें,तब छबड़ा-छीपाबडौद विधान सभा मे मुख्यमंत्री जी शेखावत जी का दौरा,आगमन हुआ और वो लक्ष्मण टेकरी पदारे तब यहां का पार्वती का तट का नजारा देख उन्हें हरिद्वार के लक्ष्मण झूले की याद आयी और उस समय उन्होनें कहा कि यहां भी लक्ष्मण झूला बनें तो यह भी पर्यटन स्थल बन सकता है।लेकिन उनका किन्ही कारणों से यह सपना पूरा नही हो सका।राज्य में बाद में भी जनता के समर्थन से भाजपा की कई बार सरकारें बनी पर,भूतपूर्व,स्वर्गीय मुख्यमंत्री श्री भैरों सिंह जी शेखवत का सपना कल्पना ही रहा,यहां के जनप्रतिनिधियों के दिल और दिमाक में अभी तक नही आयी है।भैरो सिंह जी भी 1977 से 1980 ओर 1990 से 1992 ओर 1993 से 1998 तक तीन बार मुख्यमंत्री रहे ओर 2002 से 2007 तक उपराष्ट्रपति भी रहे।इस स्थान पर प्रभूनन्द गिरी जी महाराज ने आकर तप किया था तब से यह स्थान लक्ष्मण टेकरी के रूप में आबाद हुआ अब यहां विभिन्न समाजों के मंदिर बन चुके है और अमावस्या,पूर्णिमा ओर शुक्रवार को मध्यप्रदेश और राजस्थान से दर्शनार्थियों की आवक-जावक यहां बनी रहती है।हर वर्ष मकर संक्रांति पर्व पर तीन दिवसीय मेला भी लगता है।अब इस आश्रम पर वर्तमान में महंत नारायण गिरी महाराज बिराजमान है,जिन्होंने भी कहा है कि वर्तमान में राजस्थान,मध्यप्रदेश और केंद्र में भी भाजपा सरकार है और संयोग भी देखों पंच ओर सरपंच से लेकर,प्रधान,विधायक,संसदीय भी भाजपा से ही है पूर्व समय की गयी घोषणा से लक्ष्मण झूला की मांग वर्तमान में पूरी हो जावें ओर नदी पर छोटा एनीकट भी बन जावे तो नदी में भी बारह मास पानी बना रहेगा और लक्ष्मण झूला बन जावे तो यह यह बारां जिले में एक छोटा लेकिन सुंदर पर्यटकों के लिए दर्शनीय स्थान हो जावेगा।दर्शनार्थी राम स्वरूप गुर्जर,सतीश शर्मा,ओर मौजूद श्याम गिरी महाराज योगाध्यक्ष शंकर लाल नागर आदि ने भी विश्व धरोवर दिवस पर कहा कि राजस्थान,अपनी समृद्ध इतिहास और कला संस्कृति के लिए विश्वभर में जाना जाता है,यहां अनेक किले,महल,मंदिर और प्राकृतिक स्थल हैं जो हमारी धरोहर का हिस्सा हैं।इनमें से कई यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में भी शामिल हैं,जो इस क्षेत्र के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाते हैं।छबड़ा और इसके आसपास के क्षेत्रों में भी ऐसी कई स्थानीय धरोहरें मौजूद हैं जिन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है।
विश्व धरोहर दिवस हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम अपनी विरासत को किस प्रकार सहेज कर रख सकते हैं।यह केवल सरकार और संबंधित संस्थाओं की जिम्मेदारी नहीं है,बल्कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपनी सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर का सम्मान करे और उसके संरक्षण में अपना योगदान दे।
आज के दिन,आइए हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हम अपनी विरासत को समझेंगे,उसका महत्व जानेंगे और उसे आने वाली पीढ़ियों के लिए लक्ष्मण टेकरी के धार्मिक स्थल को सुरक्षित रखने के हर संभव प्रयास करेंगे।अपनी धरोहर को जानना और उसका सम्मान करना ही एक समृद्ध और जागरूक समाज की पहचान है।विश्व धरोवर दिवस पर अलख निरंजन ज्योति ध्यान योग केंद्र के योगाध्यक्ष नागर ने भी प्रदेश और देश वासियों को विश्व धरोवर दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि सरकार के संरक्षित स्थानों के साथ-साथ जहां भी असंरक्षित प्राचीन स्थल है जो हमारे पुरखों की धरोवर है हमें भी स्वयं उनका संरक्षण करना होगा,तभी हम नई पीढ़ी को कुछ दे पायेंगे।

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