जमाना बदल गया लेकिन जीवन का संघर्ष नहीं बदला।
हिसार आज भी कुछ लोग बदले जमाने में जीवन से संघर्ष कर रहें हैं। जबकि इनके नाम पर अनेक योजनाऐं हैं, लेकिन सभी कागजी साबित होता दिखती हैं जब सङक किनारे आज भी मोची को जूते समारते देखा जाता है। जमाना बदल चुका है। जूतों की मुरम्मत और पालिश करवाने का युग लगभग जाता रहा है लेकिन फिर भी कुछ लोग आधुनिकता की दौङ में काफी पिछङे हुए है और अपने पुश्तैनी धंधे को अपनाकर जीवन गुजर बसर कर रहें हैं।