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अखिल भारतीय जांगिड़ ब्राह्मण महासभा दिल्ली की कार्यकारिणी का शपथ ग्रहण सोमवार 14 अप्रेल को मुंडका में।

अखिल भारतीय जांगिड़ ब्राह्मण महासभा दिल्ली की कार्यकारिणी का शपथग्रहण सोमवार 14 अप्रेल को मुडंका में।

पाली शनिवार 12 अप्रेल/ अखिल भारतीय जांगिड ब्राह्मण महासभा, दिल्ली की नवगठित कार्यकारिणी का शपथ-ग्रहण समारोह सोमवार 14 अप्रेल को महासभा भवन मेट्रों स्टेशन के पास रानी खेड़ा रोड़, मुंडका, नई दिल्ली मे महासभा प्रधान रामपाल जांगिड़ की अध्यक्षता में आयोजित होगा।

बताया जाता है कि समारोह में देशभर के जांगिड़ ब्राह्मण समाज के पदाधिकारी, जिला शाखाओं के अध्यक्ष, तथा सभी प्रादेशिक सभाओ के अध्यक्ष, अपनें पदाधिकारियों सहित भाग लेंगे। इसके अलावा कई पूर्व प्रधान एवं प्रादेशिक सभाओं के पूर्व अध्यक्ष और पदाधिकारी तथा समाज के अनेक वरिष्ठ प्रबुद्धजनो को आमंत्रित किया गया है। वहीं वर्षों से महासभा से जुड़े महासभा इतिहास एवं नियम उदेश्यो के अनुभवी एवं वरिष्ठ वैदिक विद्वानों की उपेक्षा की गई है, जो चर्चा का विषय बनी हुई है। जबकि महासभा के प्रधान जी ने निर्वाचन के बाद सबको साथ लेकर चलने की बात कही थी।

आमंत्रण पत्रिका और महासभा सूत्रों के अनुसार सोमवार, 14 अप्रैल 2025 को प्रात: 9:15 बजे ध्वजारोहण के साथ कार्यक्रम का श्री गणेश होगा। 9:30 बजे गायत्री मंत्र से दीप प्रज्वलित कर 9:40 बजे ऋषि विश्वकर्मा जी आरती की जायेगी 10:00 बजे आगंतुक अतिथियों का स्वागत किया जायेगा और 10:30 बजे स्वागत उद्बोधन एवं 11:15 बजे से दो बजे तक कार्यकारिणी का शपथग्रहण होगा। शपथग्रहण के बाद 2:30 बजे भोजन प्रसादी की व्यवस्था की जायेगी।

वरिष्ठ पत्रकार एवं चिन्तक घेवरचन्द आर्य द्वारा आमंत्रण पत्रिका का विश्लेषण।

आमंत्रण पत्रिका के अनुसार दस बजे से दो बजे तक के शपथ ग्रहण कार्यक्रम का विश्लेषण करें तो स्पष्ट ज्ञात होता है कि कार्यक्रम में ब्रह्म ऋषि अंगिरा जी, ऋषि विश्वकर्मा जी की और महासभा नियम उदेश्यो और प्रचार-प्रसार को कोई स्थान ही नहीं दिया गया है और न ही कार्यक्रम में कोई विजन और चर्चा दिखाई दे रही है। और न ही इस विषय पर कोई चर्चा होने की सम्भावना है। जब उद्बोधन और चर्चा ही नहीं होगी न कोई ऐसा वैचारिक और बोद्धिक प्रवचन होगा जो महासभा के सदस्यों में वैचारिक क्रांति जागरूक करने में सार्थक हो। तब आने वाले समाज बंधु क्या प्रेरणा ग्रहण करेंगे यह विचारणीय है। हां पद के लोभ में समाज बंधुओं की भीड़ एकत्रित अवश्य होगी जो माला साफा पहनकर फोटो खिंचवाकर खा पीकर वापस चली जायेगी। पद ग्रहण करने वालों के अलावा किसी को यह भी पता नहीं चलेगा की फलां व्यक्ति महासभा के किस पद पर हैं? और उस पद पर उस व्यक्ति का महासभा के सदस्य बनाने के अलावा क्या दायित्व और कर्तव्य बनता है। आज तक जितने भी पदाधिकारियों ने शपथ ली है उसमे से प्रधानजी, महामंत्री जी और कोषाध्यक्ष के अलावा सभी का केवल शपथ-ग्रहण करने के अलावा निर्धारित संख्या में सदस्य बनाने तक का ही कर्तव्य और दायित्व दिखाई दिया। उसके आगे अपवाद स्वरूप किसी का कोई दायित्व और कर्तव्य दृष्टिगोचर ही नहीं होता है।

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