
बारिश ने बढ़ाई पशुपालकों की मुसीबत, चारे का संकट गहराया।
सिद्धार्थनगर। पिछले गुरुवार को जिले में हुई तेज बारिश ने जहां तापमान में गिरावट लाकर थोड़ी राहत दी, वहीं किसानों और पशुपालकों के लिए यह बारिश आफत बनकर आई। खेतों में कटाई के बाद रखे गेहूं के डंठलों में नमी आ गई है, जिससे अब भूसा बनाने की प्रक्रिया प्रभावित हो गई है। जानकारों के मुताबिक डंठलों को सुखाने और दोबारा भूसा बनाने लायक बनाने में कम से कम एक सप्ताह का समय लग सकता है। इस दौरान पशुओं के सामने चारे का संकट और गहरा सकता है।
भूसे के लिए भटक रहे किसान
बारिश से सबसे ज्यादा दिक्कत उन किसानों को हो रही है, जिन्होंने हाल ही में अपनी फसल काटी थी और भूसा बनाने की तैयारी में थे। नमी के चलते मशीनों से भूसा नहीं बनाया जा सकता, क्योंकि इससे भूसे की गुणवत्ता खराब हो जाती है और पशुओं को खिलाना भी नुकसानदायक हो सकता है। ऐसे में किसानों को मजबूरी में तैयार भूसा खरीदने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है।
आगजनी ने बढ़ाई परेशानी
पिछले कुछ दिनों में जिले के कई गांवों में आगजनी की घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें कई किसानों की खड़ी फसलें और भूसे के ढेर जलकर राख हो गए। इससे न सिर्फ उनकी सालभर की मेहनत बर्बाद हो गई, बल्कि पशुओं के लिए चारा जुटाने की समस्या भी खड़ी हो गई है। जिन किसानों की फसलें सुरक्षित थीं, वे भी अब बारिश से प्रभावित हो गए हैं।
स्थिति गंभीर
स्थानीय पशु चिकित्सकों और कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर एक हफ्ते तक भूसे की आपूर्ति सामान्य नहीं होती है, तो पशुओं के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। दूध उत्पादन में गिरावट आ सकती है, साथ ही कमजोर पशुओं के बीमार पड़ने की आशंका भी बनी हुई है।
निष्कर्ष
बारिश और आगजनी की दोहरी मार से जिले के किसानों और पशुपालकों की स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई है। चारे का संकट जितनी जल्दी दूर होगा, उतना ही बेहतर होगा, वरना यह समस्या और गंभीर रूप ले सकती है।