
सरायपाली :- पोषण पखवाड़ा के तहत सुपोषण चौपाल का आयोजन, रहेगी स्वस्थ माँ तो होगा स्वस्थ बच्चा : दीक्षा बारीक (पर्यवेक्षक)
पोषण पखवाड़ा का आयोजन 8 अप्रैल से 22 अप्रैल 2025 तक आयोजित किया जा रहा है । जिसके तहत आज लिमगाँव मे महिला एवं बाल विकास विभाग के तत्वाधान में समुदाय आधारित गतिविधि सुपोषण चौपाल के माध्यम से गर्भवती एवं शिशुवती महिलाओं को उचित स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधित सकारात्मक व्यवहारों में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने सुपोषण चौपाल का आयोजन किया गया, महिला बाल विकास की पर्यवेक्षक श्रीमती दीक्षा बारीक द्वारा महिलाओं को पोषण आहार से जुड़ी जानकारी दिया गया । पूरक पोषण आहार के बारे में बताते हुए कहा कि गर्भावस्था और प्रसव के बाद महिलाओं को ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है, क्योंकि इस समय शरीर को उचित मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिलते और माता व नवजात शिशु कुपोषण का शिकार हो सकते हैं।
पोषण पखवाड़ा 2025 बच्चे के जीवन के पहले 1,000 दिनों पर केंद्रित है क्योंकि यह बाल विकास के लिए एक महत्वपूर्ण अवधि है।
पोषण पखवाड़ा स्वास्थ्यवर्धक भोजन विकल्पों को बढ़ावा देकर बचपन में होने वाले मोटापा दुबलापन पर भी ध्यान केंद्रित करता है। हर बच्चे को स्वस्थ शुरुआत का हक है, हर माँ को उचित पोषण का हक है और हर परिवार को पौष्टिक भोजन मिलना चाहिए। फिर भी, भारत में लाखों लोगों के लिए कुपोषण एक खामोश संकट बना हुआ है - जो न केवल व्यक्तियों को बल्कि पूरे देश के भविष्य को प्रभावित करता है। परिवर्तनकारी कार्रवाई की आवश्यकता को पहचानते हुए, एक प्रमुख कार्यक्रम जिसका उद्देश्य समग्र दृष्टिकोण के माध्यम से महिलाओं और बच्चों के लिए पोषण परिणामों में सुधार करना है। इसकी प्रमुख पहलों में से एक, पोषण पखवाड़ा , कुपोषण को दूर करने में जागरूकता बढ़ाने और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए एक शक्तिशाली मंच के रूप में उभरा है।
इस समय के दौरान अच्छा पोषण, प्यार, देखभाल और शुरुआती सीखने के अनुभव उन्हें एक स्वस्थ, स्मार्ट और खुशहाल व्यक्ति बनने में मदद कर सकते हैं।
इसलिए, पोषण अभियान ने जीवन के पहले 1000 दिनों पर विशेष जोर दिया है, जो वास्तव में किसी भी बच्चे के लिए जादुई खिड़की है। इस वर्ष के थीम के माध्यम से, पोषण पखवाड़ा 2025 का उद्देश्य परिवारों को मातृ पोषण, उचित स्तनपान प्रथाओं और बचपन में बौनेपन और एनीमिया को रोकने में संतुलित आहार की भूमिका के बारे में शिक्षित करना है। स्थानीय समाधानों पर भी जोर दिया जाता है - पारंपरिक पौष्टिक खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देना, खासकर आदिवासी क्षेत्रों में जहां स्वदेशी आहार बेहतर स्वास्थ्य की कुंजी है।
आज की कार्यक्रम मे सेक्टर पर्यवेक्षक श्रीमती दीक्षा बारीक, आ बा कार्यकर्ता संजू , सरपंच हरी भोई, पंच सुमन भोई , शिक्षिका श्रीमती अनीता साहु, मितानीन प्रेमशिला साहु, व ग्रामीण जन उपस्थित थे ।।