
भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय, उदयपुर में प्रथम दीक्षांत समारोह आयोजित: डॉ. हेमलता मण्डोवरा को विद्या-वाचस्पति (पीएच.डी.) की उपाधि से किया विभूषित
भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय, उदयपुर ने अपने प्रथम दीक्षांत समारोह का आयोजन किया, जिसमें विश्वविद्यालय के छात्रों को उनके शैक्षिक उत्कृष्टता के लिए सम्मानित किया गया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर हेमलता मण्डोवरा (नामधर) को विद्या-वाचस्पति (पीएच.डी.) की उपाधि प्रदान की गई। यह उपाधि प्राप्त करने वाली डॉ. मण्डोवरा ने हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. हुसैनी बोहरा के निर्देशन में 'मीरां का काव्यः भारतीय अध्यात्म चिंतन' विषय पर शोध कार्य किया था।
समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में पद्म विभूषण से सम्मानित पूर्व केंद्रीय मंत्री, राज्य सभा सदस्य और प्रसिद्ध दार्शनिक, महाराजा जम्मू एवं कश्मीर डॉ. कर्ण सिंह उपस्थित थे। अपने संबोधन में डॉ. कर्ण सिंह ने शिक्षा और ज्ञान के महत्व को रेखांकित करते हुए विद्यार्थियों को समाज में योगदान देने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने विश्वविद्यालय के शैक्षिक प्रयासों की सराहना की और विद्यार्थियों को अपने करियर में उत्कृष्टता की ओर अग्रसर होने की शुभकामनाएँ दीं।
इस सम्मानित अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रमुख अधिकारी भी उपस्थित थे, जिनमें प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत (चेयरपर्सन), महेन्द्र सिंह आगरिया (मंत्री), मोहब्बत सिंह राठौड़ (प्रबंध निदेशक, रूपाखेड़ी), डॉ. चेतन सिंह चौहान (अध्यक्ष) और डॉ. एन. एन. सिंह (रजिस्ट्रार) सम्मिलित थे।
डॉ. हेमलता मण्डोवरा वर्तमान में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, दोवनी (कपासन) में वरिष्ठ अध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं। उनके शोध ने न केवल मीरां के काव्य और भारतीय अध्यात्म चिंतन को नई दिशा दी, बल्कि यह भारतीय साहित्य और संस्कृति के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण योगदान के रूप में प्रदर्शित हुआ।
इस दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के अन्य छात्रों को भी उनकी शैक्षिक उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया। यह अवसर विश्वविद्यालय के शैक्षिक सफर में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ और विद्यार्थियों को उनके भविष्य के प्रति आश्वस्त और प्रेरित किया।
भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय का यह दीक्षांत समारोह, न केवल विश्वविद्यालय की शैक्षिक दृष्टि और समर्पण को प्रदर्शित करता है, बल्कि यह समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता और महत्व को भी रेखांकित करता है।