
पद और प्रतिष्ठा के आड़ में छुपे है देश,और समाज के असली गुनाहगार.....
हमारा देश हमारा समाज गांव से लेकर शहर तक अपराध युक्त है ,,, यहां बड़े बड़े नमी अपराधी हैं जिनका खौफ है लोगो में भय भी है उनके प्रशंसक भी है,,,उन्हें समाज में धन दौलत इज्जत सब कुछ हासिल है लेकिन समाज में ओ अपने अपराध या अपराधी गतिविधियों से जाने भी जाते हैं,,
लेकिन समाज के लिए सबसे घातक तो ओ सफेदपोश वर्दीधारी और बड़े बड़े प्रशासनिक पदों पर विराजमान लोग हैं जो बड़े ही सम्मानित दंग से अपने पद प्रतिष्ठा के आड़ में अपराध करते हैं अपराधियों को पाल पोश कर बड़ा करते हैं ,,,हमारी नजर घोषित अपराधियों पर होती है लेकिन उनके अपराध को बढ़ावा देने उन्हें मनोबल हौसला देने का काम यही लोग करते है जिन्हें समाज को अपराधमुक्त भयमुक्त करने की जिम्मेदारी दी गई है ,,,न्याय की पहली सीढ़ी थाना होता है लेकिन यही से अन्याय होना शुरू हो जाता है ,,,अगर आप कमजोर है कोई राजनितिक पैरवी नहीं है आपके पास रिश्वत देने के लिए पैसे नहीं है तो न्याय की उम्मीद मत रखिए मत जाइए थाने मार खा के शोषण का शिकार होकर भी जितना बच जाए उसका अपने भगवान का एहसान मान कर अपने घर में दुबके रहिए और जीवन काट लीजिए ,या खुद खत्म कर लीजिए क्योंकि आपके जीने मारने होने न होने सा समाज को कोई फर्क नहीं पड़ता और सरकार का बस एक वोट बढ़ता घटता है लेकिन क्या फर्क पड़ता है यहां तो भेड़ों की झुंड तैयार है,,,क्योंकि यहां तो थानों में गरीब कमजोर को पीट पीट कर मार डालने का रिकॉर्ड है, बलात्कार पीड़िता का न्याय मांगने थाने जाने पर दरोगा द्वारा फिर से बलात्कार कर देने का रिकॉर्ड है,,,वही पूंजीपति बाहुबली राजनितिक रसूख के अपराधी को जेल के अंदर दारू मुर्गा लड़की सब उपलब्ध कराने का रिकॉर्ड है....
यहां डीजीपी दलित कन्या के सामूहिक बलात्कार का मीडिया के सामने आकर अपने बयान में कह देता है कि बलात्कार ही नहीं हुआ ,कुंभ हादसे में भगदड़ मचने सैकड़ो के हताहत होने की खबर जब पूरी दुनिया देख चुकी होती है तो उसके दो दिन बाद भी मेला में एक एसपी रैंक का अधिकारी जिस पर कुंभ मेला की सुरक्षा की जिम्मेदारी है वह बयान देता है कि मुझे तो कोई जानकारी ही नहीं ऐसा कुछ हुआ ही नहीं मुझे किसी ने सूचना ही नहीं दी ,,,,
अभी ताज़ा तारीन उदाहरण है अम्बेडकर नगर जा बुलडोजर करवाई हो रही थी ओ कारवाई सही थी या गलत एक अलग विषय है लेकिन उसमें एक सात साल की बच्ची को अपने टूटते घर से अपनी किताब कापी लेकर दौड़ते हुए देखा जाता है जो कि उस बिटिया के सपनों की उड़ान दिखाता है उसकी सूझबूझ दिखाता है कि घर के हजार समान टूटने से ज्यादा उसे अपने क़िताब कापी बस्ते की चिंता है सारे समाचार पत्रों में आता है चैनलों में आता है पत्रकार लोग जाते हैं उस लड़की से बात करते है,,,,लेकिन वहां के जिलाधिकारी महोदय जो भारत की सबसे कठिन परीक्षा पास करके आए है पूरा जिला सम्हालने की जिनकी जिम्मेदारी है इस जिम्मेदारी में उस बच्ची को शिक्षा मुहैया कराना भी आता है और ऐसे जिम्मेदार महोदय बयान देते है कि ये लड़की फर्जी है ये वीडियो फर्जी है यह ए आई जनरेटेड वीडियो है
इलाहाबाद हाइकोर्ट के एक जज महोदय ने तो अपने फैसले में यहां तक कह दिया कि लड़की का स्तन दबाना,उसके पायजामा का डोरी तोड़ना अपराध के श्रेणी में नहीं आता...
अब ऐसे ऐसे जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों के ऐसे कार्यप्रणाली पर आम आदमी कहा से न्याय की उम्मीद रखे इसलिए अपने अपने घर में रहे जो हो रहा उसे ये सोचकर स्वीकार करे कि राम ने बचा लिया इससे ज्यादा नहीं हुआ,,,और राम राम जपे...
ऋषि समीर प्रयागराज