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कैग रिपोर्ट ने नीतीश सरकार की खोली पोल, सूबे में उच्च शिक्षा की बदहाल। 57% शिक्षकों के पद खाली

Patna : कैग रिपोर्ट ने बिहार सरकार की पोल खोल दी है. बिहार में उच्च शिक्षा की हालत क्या है,कैग रिपोर्ट से हकीकत का पता चल रहा है.

बिहार के वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने आज विधानमंडल में 31 मार्च 2022 को समाप्त हुए वर्ष के लिए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट को प्रस्तुत किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 11 नमूना जांचित विश्वविद्यालयों में शिक्षण कर्मियों के 57 फीसदी पद रिक्त थे.

कैग की रिपोर्ट में उच्च शिक्षा की कैसी हालत है, इसका पता चल रहा है. बिहार के विश्वविद्यालयों में प्रशासनिक चूक स्पष्ट रूप से परिलक्षित हुई है. वित्तीय वर्ष 2017 से 22 के दौरान 22576.33 करोड़ के बजट प्रावधान में 4134.01 करोड़ (18%) का इस्तेमाल ही नहीं किया गया.


11नमूना जांचित विश्वविद्यालयों में पांच में वेतन सत्यापन सेल के माध्यम से उचित सत्यापन के बिना ही शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कर्मियों के वेतन बकाया की 48 करोड़ 28 लाख रुपए की राशि वितरित की गई. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में सातवें वेतन आयोग में बकाया के लिए 201 शिक्षकों को 14 करोड़ 41 लाख का भुगतान आयकर अधिनियम के प्रावधान का उल्लंघन कर किया गया. स्रोत पर टैक्स के रूप में चार करोड़ 32 लाख की कटौती के बिना ही भुगतान कर दिया गया.

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अनुदान के पहले जारी किस्तों के गैर उपयोग के कारण नमूना जांचित विश्वविद्यालय द्वारा 27.82 करोड़ (60%) की अनुदान की शेष किस्तों की राशि प्राप्त नहीं की जा सकी. नमूना जांचित विश्वविद्यालय में 2017-18 से 22 के दौरान स्नातक और स्नातकोत्तर परीक्षा के परिणाम 60 दिनों की निर्धारित अवधि से चार से 946 दिनों के विलंब से प्रकाशित किए गे।


11 नमूना जांचित विश्वविद्यालय में शिक्षक कर्मचारियों के 57% पद रिक्त पड़े थे. यह कमी 49% (भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय) से 86% (मौलाना मजहरूल हक अरबी फारसी विश्वविद्यालय) तक थी. इसी प्रकार गैर शैक्षणिक कर्मचारियों की रिक्ति इन विश्वविद्यालय में 56% थी.

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