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Uttarakhand: नेपाल सीमा के पास बनने वाले भूमि बंदरगाह निर्माण की एक अड़चन दूर, व्यापारिक गतिविधियां होंगी तेज

सार
नेपाल सीमा के पास बनने वाले भूमि बंदरगाह निर्माण की अड़चन दूर होने से अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक गतिविधियां और तेज हो सकेंगी। इस योजना पर करीब तीन साल पहले कवायद शुरू की गई थी।

विस्तार
नेपाल सीमा के पास बनने वाले भूमि बंदरगाह निर्माण की एक बड़ी अड़चन दूर हो गई है। वन भूमि हस्तांतरण से जुड़ी क्षतिपूरक वनीकरण की शर्त को पूरा करने के लिए भूमि मिल गई है। इसके बाद प्रस्ताव पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भेज दिया गया है।

नेपाल सीमा के पास भारतीय भूमि बंदरगाह प्राधिकरण की भूमि बंदरगाह विकसित करने की योजना है, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक गतिविधियां और तेज हो सकेंगी। इस योजना पर करीब तीन साल पहले कवायद शुरू की गई थी। इसके लिए तराई पूर्वी वन प्रभाग के खटीमा रेंज में 32 हेक्टेयर वन भूमि को चिह्नित किया गया। इसका प्रस्ताव विभिन्न चरणों से होते हुए पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय पहुंच गया।

प्रस्ताव के तहत संबंधित वन भूमि के बदले अवनत वनों में क्षतिपूरक वनीकरण का काम किया जाना था, यह जगह भी चिह्नित हो गई। वनधिकारियों के अनुसार पर बीच में नियमों में बदलाव हुआ, इसके बाद अवनत वनों को क्षतिपूरक वनीकरण के लिए हटा दिया गया। बाद मंत्रालय से आपत्ति लग गई है। इसके बाद क्षतिपूरक वनीकरण के लिए भूमि की तलाश को शुरू किया गया।


तराई पूर्वी वन प्रभाग के डीएफओ हिमांशु कहते हैं कि चंपावत जिले में 64 हेक्टेयर भूमि को क्षतिपूरक वनीकरण के लिए चिह्नित कर लिया गया है। इसके बाद प्रस्ताव को भेज भी दिया गया। प्रमुख वन संरक्षक व वन भूमि हस्तांतरण के नोडल अधिकारी रंजन मिश्रा कहते हैं कि वन भूमि हस्तांतरण के तहत स्टेज- वन के तहत प्रक्रिया चल रही है।

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