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सहायक मानचित्रकार खनिज विभाग ने किया न्यायालय अपर कलेक्टर के आदेश को दरकिनार

डिंडोरी -- जिले मे आज भी अधिकाश विभाग प्रभारी अधिकारियों के भरोसे संचालित हो रहे है, नतीजतन ऐसे अधिकारी इसका जमकर फायदा उठा रहे है। आज हम आपको ऐसे ही एक सहायक मानचित्रकार कि वास्तविक हकीकत से रूबरू कराने जा रहे है, जहाँ अपर कलेक्टर के आदेश भी मायने नहीं रखते। जी हाँ यहॉँ हम बात कर रहे है कार्यालय कलेक्टर कि खनिज शाखा कि जहाँ सहायक मानचित्रकार अपनी मनमानी करने पर आमादा है। और यह कार्यालयीन कार्यों के अतिरिक्त खनिज निरीक्षक कि भूमिका भी वर्षों से निभाते आ रहे है। मसलन कार्यालयीन कार्यों का प्रभावित होना तय है। और अनेकों दफा तो यह जानबूझकर महत्वपूर्ण जानकारीया प्रदान करने मे हीला - हवाली बरतते हैँ।

ठन्डे बस्ते मे अपर कलेक्टर का आदेश -- बता दें कि आवेदक द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सहायक लोक सूचना अधिकारी कार्यालय कलेक्टर ( खनिज शाखा ) से जानकारी चाही गई थी, किन्तु जब तय समय सीमा गुजरने उपरान्त भी आवेदक को जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई तो आवेदक ने लोक सूचना अधिकारी कार्यालय कलेक्टर ( खनिज शाखा ) को पत्र प्रेषित कर जानकारी चाही , लेकिन तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी के कानो मे जूँ नहीं रेंगी। ऐसे मे आवेदक ने विवश हो प्रथम अपीलीय अधिकारी कार्यालय कलेक्टर के समक्ष अपील प्रस्तुत कि, जिसे संज्ञान मे लेते हुये तत्कालीन अपर कलेक्टर सरोधन सिंह ने दिनांक 11/02/2025 को सहायक लोक सूचना अधिकारी कार्यालय कलेक्टर ( खनिज शाखा )को आदेश किया कि अपीलार्थी द्वारा चाही गई जानकारी /दास्तावेज नियमानुसार प्रदाय किये जाये, ताकि प्रकरण आर सी एम एस से कम किया जाये

भ्रमित करने का प्रयास -- आपको इस बात कि जानकारी देना भी बेहद आवश्यक है कि अपीलार्थी एक पत्रकार है, और अपीलार्थी द्वारा समय - समय पर जनहित मे कार्यालय कलेक्टर ( खनिज शाखा ) कि मनमानियों को उजागर किया जाता रहा है। ऐसी स्थित मे जब न्यायालय अपर कलेक्टर ने प्रकरण मे सहायक लोक सूचना अधिकारी को पत्र जारी कर वस्तु स्थिती का प्रतिवेदन बुलाया तो कार्यालय कलेक्टर ( खनिज शाखा ) ने पत्र क्रमांक /523/खनि./सू. अ./2025 डिंडोरी दिनांक 07/02/2025 द्वारा वस्तुस्थिति का प्रतिवेदन पेश कर उल्लेखित किया कि अपीलार्थी द्वारा चाही गई जानकारी विस्तृत स्वरुप कि है, जिससे आवेदन पत्र मे उल्लेखित बिंदुओं से सम्बंधित अभिलेखों का कार्यालयीन समय मे उपस्थित होकर अवलोकन करने के सम्बन्ध मे कार्यालयीन पत्र क्रमांक 356 दिनांक 21/10/2024 को लेख किया गया है, जो कि पूर्णतः भ्रामक है और ऐसा कोई भी पत्राचार अपीलार्थी को नहीं किया गया। प्रकरण मे न्यायालय अपर कलेक्टर ने भी माना कि अपीलार्थी को सूचना प्रदाय नहीं कि गई।

क्या खुलासे से घबरा रहे जिम्मेदार -- आवेदक द्वारा जो जानकारी कार्यालय कलेक्टर ( खनिज शाखा ) से चाही गई है, संभवतः सहायक लोक सूचना अधिकारी और तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी भी इस बात से वाक़िफ़ है कि यदि जानकारी जनहित मे सार्वजनिक हुई तो उनकी खामियां उजागर ना हो जाये, क्यों कि मामला जिले मे अवैध क्रेशर संचालन का हो या रेत के अवैध कारोबार और विभाग द्वारा कि गई कार्यवाहियों का, यह तो तय है कि बड़ी - बड़ी लापरवाहियाँ उजागर होंगी, जिनसे राज्य सरकार को लाखों के राजस्व कि हानि हो र

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