
उत्तराखंड में हरे भरे पेड़ों को बचाने में नाकाम वन विभाग खैर की सैकड़ो पेड़ काट काटकर लें उडे लक्कड़ कर
अजीब दास्तां आपको हम उत्तराखंड मैं वन विभाग की फिल्म का दृश्य बता रहे हैं उत्तराखंड में बाहरी प्रदेश से आए हुए लक्कड़ माफियाओं (चोर) व उत्तराखंड के लक्कड़ चोर के उस कुकर्म के बारे मैं बता रहे है जिसमे लक्कड़ माफियाओं के द्वारा ,,,शीतला नदी मैं ग्राम समाज की भूमि पर खड़े खेर के हजारों पेड़ उन हजारों पेड़ों मैं से लक्कड़ माफियाओं के द्वारा सेंकड़ों खेर के पेड़ों को रात के अंधेरे मैं चोरी से काट कर यमुना पार पोंटा साहिब मैं बेच दिया जाता है।
👉अब आप लोग सोचोगे की यह खेर के पेड़ पोंटा साहिब मैं ही क्यू बेचे और सेकडो पेड़ों की लकड़ी आखिर पोंटा साहिब गई केसे जबकि वन विभाग की चोकिया चारो तरफ है जबकि चेकपोस्ट तो खुद कुल्हाल चेक पोस्ट बॉर्डर पर ही है।
तो आखिर कार सेकडो पेड़ों से भरी गाड़ी पार हुई तो हुई केसे। और पोंटा साहिब ही क्यू।
👉हम आपको बता दे कि खेर की लकड़ी से कत्था तयार किया जाता है जिसकी कीमत बाजार मे 2 से ढाई हजार रूपए प्रति किलो है और इसकी लकड़ी की कीमत छे हजार रूपए प्रति क्विंटल से लेकर आठ हजार रुपए प्रति क्विंटल है इस लिऐ लकड माफियाओं ने शीतला नदी मैं ग्राम समाज की भूमि पर खड़े खेर के हजारों पेड़ों मैं से सेकडो पेड़ों को काट कर चोरी कर के भेज दिया है।और इसमें छरबा ग्राम पंचायत के
👉प्रधान अमीर खान साहब जी को भनक तक भी नही लगी कि उनकी ग्राम समाज की भूमि पर खड़े खेर को लक्कड़ माफियाओं की नज़र पड़ गई है और प्रधान अमीर खान साहब को भनक तक भी नहीं पड़ी और वन विभाग का तो क्या ही कहे इतनी सारी चोकियां और चेकपोस्ट होने के बावजूद भी लक्कड़ माफियाओं द्वारा पुष्पा बनकर लकड़ी को बोर्डर पार करवा दिया जाता है और वन विभाग शेखावत बनकर खाली देखते रहते है आखिर कब तक यह खेल चलता रहेगा आखिर ये चोर कब पोलिस व वनविभाग के हत्थे चढ़ेंगे
👉आखिर कब तक कीमती लकड़ियों की चोरी होती रहेगी और वन विभाग सोता रहेगा आम के पेड़ो से भरी लकड़ी के पिकअप तो वनविभाग जप्त कर लेते है पर खेर जैसे प्रतिबंधित पेड़ों की लकड़ी को पकड़ नहीं पाते आश्चर्य जनक बात है जब क्षेत्रीय रेंजर से बात की गई तो उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए कहा यह पेड़ ग्राम समाज की भूमि पर है यह वन विभाग में नहीं आते