निर्वस्त्र किए बगैर नाबालिग को छूना यौन उत्पीडन नहीं -बॉम्बे हाई कोर्ट
कोलेजियम सिस्टम से पधारे न्यायधीशों की न्यायिक असंवेदनशीलता अब हद से पार हो गया है ! 12 वर्षीय नाबालिग बच्ची के यौन-शोषण मामले में बाम्बे हाइकोर्ट के जस्टिस ""पुष्पा वीरेंद्र गनेडीवाल"" ने अपराधी के पक्ष में फैसला देते हुए कहती हैं __ कि Skin-to-Skin Contact हुए बगैर यौन-शोषण होना नहीं माना जा सकता ! कपड़े के ऊपर से स्तन दबाना, प्राइवेट पार्ट को छूना यौन-उत्पीड़न नहीं है !
इसी तरह एक और मामले में जस्टिस पुष्पा गनेडीवाल फैसला देते हुए 26वर्ष के यौन अपराधी को बरी करते हुए कहती हैं __ ""मुंह दबाना, कपड़े खोलना, फिर रेप करना .. अकेले युवक के लिए बेहद असंभव लगता है !""
#प्रश्न_पक्ष -- 1).""यदि Skin-to-Skin Contact हुए बगैर बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता तो क्या हाथों में ग्लब लगाकर स्तन दबाना छूना और कांडोम लगाकर जबरन शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार की श्रेणी में नहीं आएगा ...?""
2). ""क्या आप ,, अपने नाबालिग बच्ची को अकेला हवसी दरिंदे को सौंपकर अपनी फैसले की असंभावना का सत्यापन करने की हिम्मत जुटाएंगी ?""
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