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एकादशी विशेष भगवत गीता को 18 दिनों में समझे!

हरे कृष्णा इस्कॉन , कुलई, मंगलुरु वैष्णव भक्तो की ओर से सभी वैष्णव भक्तों को सादर प्रणाम।

मंगल आरती सुबह @ 4:30 बजे , जप सत्र सुबह @ 5:00 बजे ,दर्शन आरती प्रातः 7:10 बजे प्रतिदिन ,भागवतम् क्लास (English ) में @ 8:00 बजे प्रतिदिन शामिल हों !

ज़ूम लिंक: https://t.ly/temple

मीटिंग आईडी: 494 026 3157

पासवर्ड : 108

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*26 मार्च 2025 एकादशी पर विशेष कार्यक्रम*

*प्रत्येक एकादशी के दिन भगवद गीता का विशेष श्लोक पाठ होता है, जिसमें सभी 18 अध्यायों के 700 श्लोक शामिल हैं*

विभिन्न श्रेणियों में पाठ का समय इस प्रकार है:

*वयस्क द्वारा श्लोक पाठ*

समय: सुबह 10:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक
ज़ूम लिंक: https://t.ly/temple
मीटिंग आईडी: 4940263157
पासकोड: 108

*बच्चों द्वारा श्लोक पाठ*

समय: शाम 4:30 बजे से शाम 7:30 बजे तक IST
ज़ूम लिंक: https://t.ly/temple
मीटिंग आईडी: 4940263157
पासकोड: 108

*युवा द्वारा श्लोक पाठ*

समय: शाम 7 बजे से रात 10 बजे तक ज़ूम लिंक: https://t.ly/ISKCONFacility
मीटिंग आईडी: 510 227 9099
पासकोड: 108

*लाइव यूट्यूब लिंक:* https://t.ly/iskmng
हरे कृष्ण

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श्री श्री राधा गोविंद मंदिर
इस्कॉन , कुलाई , मैंगलोर द्वारा *श्रीमद्भगवद्गीता को 18 दिनों में गुरु परम्परा से समझें- * नया बैच हर महीने के प्रथम सोमवार से शुरू होता है !

*बैच 55th* *_14th_ अप्रैल _सोमवार_* से शुरू हो रहा है !

वेबसाइट पर *रजिस्टर करें* 👇
https://t.ly/gita

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: मो. नं +91 96680 00330


*दुनिया के सबसे बड़े ऑनलाइन गीता पाठ्यक्रम* में शामिल हों (9 लाख+ पंजीकरण)

*मुफ़्त प्रमाणपत्र*

*भाषाएँ* - अंग्रेजी, हिंदी, कन्नड़, तेलुगु, तमिल, मलयालम, तुलु, कोंकणी, उड़िया, गुजराती, मराठी, बंगाली

अलग वर्ग के *बच्चे* (6 से 10 वर्ष), *बच्चे* (11 से 15 वर्ष),
*युवा* (16 से 25 वर्ष) और *वयस्क* (25+ वर्ष)

"क्या आपके फोन में zoom app इंस्टॉल है?

यदि नहीं तो तुरंत डाउनलोड करें। गीता कक्षा हेतु यह आवश्यक है।

Download through Link:
https://gplg.in/z/app

कक्षा आरम्भ करे (आपके चयनित भाषा व समय पर) .

*प्रति दिन 1 घंटा* - ऑनलाइन लाइव सत्र + प्रश्नोत्तर

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Bhagavad Gita Verse Of the Day: Chapter 2, Verse 24
अच्छेद्योऽयमदाह्योऽयमक्लेद्योऽशोष्य एव च ।
नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोऽयं सनातनः ॥24॥

अच्छेद्यः-खण्डित न होने वाला; अयम्-यह आत्मा; अदाह्यः-जलाया न जा सकने वाला; अयम्-यह आत्मा; अक्लेद्यः-गीला नहीं किया जा सकता; अशोष्यः-सुखाया न जा सकने वाला; एव–वास्तव में; च-तथा; नित्यः-सनातन; सर्वगतः-सर्वव्यापी; स्थाणुः-अपरिवर्तनीय; अचलः-जड़; अयम्-यह आत्मा; सनातनः-सदा नित्य।

Translation
BG 2.24: आत्मा अखंडित और अज्वलनशील है, इसे न तो गीला किया जा सकता है और न ही सुखाया जा सकता है। यह आत्मा शाश्वत, सर्वव्यापी, अपरिर्वतनीय, अचल और अनादि है।

Commentary
यहाँ आत्मा की अमरता के विषय की ओर पुनः ध्यान आकर्षित किया जा रहा है। शिक्षक के लिए विद्यार्थी को केवल ज्ञान प्रदान करना ही पर्याप्त नहीं होता। ज्ञान तभी उपयोगी होता है जब वह विद्यार्थी के हृदय में बैठ जाए। इसलिए एक निपुण शिक्षक प्रायः अपने पिछले वक्तव्यों को दोहराता रहता है। संस्कृत साहित्य में इसे पुनरुक्ति या पुनरावृत्ति कहते हैं। श्रीकृष्ण भगवान ने भगवद्गीता में प्रायः पुनरुक्ति का प्रयोग अपने महत्त्वपूर्ण आध्यात्मिक सिद्धान्तों को रेखांकित करने के लिए एक साधन के रूप मे किया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनके भक्त उनके उपदेशों को गहनता से ग्रहण करें।
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भगवद् गीता Level-1 बैच 47 (Hindi) Online Class यूट्यूब रिकॉर्डिंग लिंक!

https://youtube.com/playlist?list=PLKU6ikvAHEy4nhOfwGAa8v1FxmX1924Ur&si=wU9axplDIfIZHyXo

भगवद् गीता Level 2 बैच 45 (Hindi ) Online Class यूट्यूब रिकॉर्डिंग लिंक -

https://youtube.com/playlist?list=PLKU6ikvAHEy4N6I3fTQT8bCpcUsoq3xaP&si=ZgUsjPqDjDzQrJTc

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मंगलाचरण
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय,ॐ नमो भगवते वासुदेवाय,ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !

1) ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जलाकया ।
चक्षुरुन्मिलितं येन तस्मै श्रीगुरुवे नम: ।।
श्री चैतन्यमनोऽभीष्टं स्थापितं येन भूतले ।
स्वयं रूप: कदा मह्यंददाति स्वपदान्न्तिकम् ।।

2) वन्देऽहं श्रीगुरो: श्रीयुतपदकमलं श्रीगुरुन् वैष्णवांचश्र ।
श्रीरूपं साग्रजातं सहगणरघुनाथनविथं तं सजीवम् ।।
सद्वैतं सावधूतं परिजनहितं कृष्णचैतन्यदेवं ।
श्रीराधाकृष्णपादान सहगणललिताश्रीविशाखानन्विताशार्च ।।

3) हे कृष्ण करुणासिन्धो दीनबन्धो जगत्पते ।
गोपेश गोपिकाकान्त राधाकान्त नमोऽस्तु ते।।

तप्तकाञ्चनगौरंगी राधे वृंदावनेश्वरी।
वृषभानुसुते देवि प्रणमामि हरिप्रिये।

4) वाञ्छाकल्पतरुभ्यश्र्च कृपासिंधुभय एव च।
पतितानां पावनेभ्यो वैष्णवेभ्यो नमो नामः ।।

जय श्रीकृष्ण-चैतन्य प्रभु नित्यानन्द।
श्रीअद्वैत गदाधर श्रीवासादि गौरभक्तवृन्द।।

5) नम ॐ विष्णु-पादाय कृष्ण-प्रेष्ठाय भूतले
श्रीमते भक्तिवेदांत-स्वामिन् इति नामिने ।

नमस्ते सारस्वते देवे गौर-वाणी-प्रचारिणे
निर्विशेष-शून्यवादि-पाश्चात्य-देश-तारिणे ॥

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।
*****

*तुलसी प्रणाम मंत्र*

वृन्दायै तुलसी देवयायै प्रियायै केशवस्य च।
कृष्णभक्ति प्रद देवी सत्यवत्यै नमो नमः॥
*****

*वैष्णव प्रणाम मंत्र*
वाञ्छाकल्पतरुभ्यश्र्च कृपासिंधुभय एव च।
पतितानां पावनेभ्यो वैष्णवेभ्यो नमो नामः ।।

हरे कृष्ण हरे कृष्ण , कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम , राम राम हरे हरे।।

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इस्कॉन मंगलुरु द्वारा अयोजित Level -4, Certificate Course Group -A द्वारा 22-3-2025 भक्तिरसामृतसिन्धु प्रस्तुति का यूट्यूब पर रिकार्डिंग। मेरी प्रस्तुति विडियो में प्रथम प्रश्न का उत्तर 31:09 से 33:23 तक यथा दूसरे प्रश्न का उत्तर 42:43 से 44:05 तक है !

https://youtu.be/hR3CwgojmpU?si=OZETPcyDOAFXPctl

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हार्दिक शुभकामनाएं,

Jeetendra Sharan

https://www.facebook.com/share/1WvZtzW45t/

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