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अखिलेश जी पार्टी हित में गोपाल अग्रवाल जैसे नेताओं को मनाइये

1974 में आगरा में रहते हुए संपूर्ण कं्रांति आंदोलन में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के साथ काम कर चुके और उसके बाद समाजवादी पार्टी से जुड़कर अक्टूबर 2006 में आयोजित सपा के तीन दिवसीय प्रदेश सम्मेलन मेरठ के संयोजक रहे और जिनसे समाजवादी पार्टी की अपनी एक पहचान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वैश्य समाज और व्यापारी वर्ग में जनता में कराने वाले कर्मठ ईमानदार हरदिल अजीज 1967 से छात्र जीवन के चलते युवजन सभा से जुड़े मेरठ निवासी गोपाल अग्रवाल का वर्तमान में पंचायत चुनाव के चलते सपा से इस्तीफा दे देना एक बड़ी बात है।


राजनीतिक दल पार्टी के नेता के नाम से चलते हैं लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि गोपाल अग्रवाल जैसे समर्पित वरिष्ठ राजनेताओं का भी किसी भी संस्था को चलाने में बड़ा योगदान होता है। सपा की राजनीति में वर्तमान समय में महत्वपूर्ण हिंद मजदूर सभा टेड यूनियन गतिविधियों एवं जार्ज फर्नाडिज द्वारा प्रकाशित समाचार पत्र प्रतिपक्ष में सक्रिय रहे आपातकाल में भूमिगत हुए गोपाल अग्रवाल ने अपना इस्तीफा सपा के राष्टीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को भेजते हुए उसे स्वीकार करने का आग्रह किया है। 

मेरा मानना है कि पूर्व में समाजवादी पार्टी की व्यापार सभा के प्रदेशाध्यक्ष और सचिव रहने के साथ ही इस पार्टी से मेरठ कैंट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके डा राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रभावित गोपाल अग्रवाल का इस्तीफा स्वीकार न करते हुए पूर्व सीएम अखिलेश यादव को उन्हेूं बुलाकर उनकी पीड़ा जाननी चाहिए और उनकी सक्रियता तथा कद के हिसाब से उन्हें जिम्मेदारी सौंपी जाए जिससे इतने वफादार नेता पार्टी छोड़कर भविष्य में जाने की ना सोचें। कहीं पढ़ा था कि अग्रवाल किसी और दल में जा सकते हैं। 

 जैसा कि उनका कहना था कि किसी मनमुटाव मंे पार्टी नहीं छोड़ी। बल्कि रणनीति का अभाव और समयानुकुल भाजपा से लड़ने की ताकत में हो रही कमी के चलते उन्होंने इस्तीफा दिया लेकिन अगर सपा मुखिया ने कहा तो शायद गोपाल अग्रवाल इस्तीफा वापस ले सकते हैं।

अखिलेश यादव जी उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी दल भाजपा के बाद सपा बसपा कांग्र्रेस और रालोद का ही चर्चा रहता है। लेकिन समाजवादी पार्टी से यह उम्मीद बनी रहती है कि सत्ताधारी दल को निरंकुश नहीं होने देगी मगर जिस प्रकार से अभी सरकार में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री रहे फाखिर सिददीकी सपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए यह चिंता का विषय है। वर्तमान में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव चल रहे हैं। 

2022 के विधानसभा चुनाव की आहट शुरू हो गई है। ऐसे में सपा के साथ साथ जनहित को भी ध्यान में रखते हुए मेरा मानना है कि गोपाल अग्रवाल जैसे समर्पण भाव के निष्ठावान जमीन से जुड़े नेता की इस्तीफे की पेशकश को ठुकराकर दल के मुखिया के रूप में अखिलेश जी इस समस्या का समाधान निकालिए यही समय की सबसे बड़ी मांग कही जा सकती है।

– रवि कुमार विश्नोई

सम्पादक – दैनिक केसर खुशबू टाईम्स
अध्यक्ष – ऑल इंडिया न्यूज पेपर्स एसोसिएशन
आईना, सोशल मीडिया एसोसिएशन (एसएमए)
MD – www.tazzakhabar.com

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